केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बुधवार को कहा कि किसी को राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) से डरने की जरूरत नहीं है और इसे पूरे देश में लागू किया जाएगा। राज्यसभा में कांग्रेस सदस्य सैयद नासिर हुसैन के एक सवाल के जवाब में शाह ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट द्वारा एनआरसी की प्रक्रिया की निगरानी की जाती है। एनआरसी में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जिसमें ऐसा कहा जाए कि इसमें दूसरे धर्म के लोगों को शामिल नहीं किया जाएगा। यह पूरे देश में लागू किया जाएगा और किसी को भी इससे डरने की जरूरत नहीं है।”
कांग्रेस सांसद ने पूछा कि क्या एनआरसी छह गैर-मुस्लिम धर्मों के प्रवासियों को नागरिकता प्रदान करता है।
इसके जवाब में शाह ने कहा कि एनआरसी और नागरिकता संशोधन विधेयक दो अलग-अलग मुद्दे हैं, और दोनों को एक ही चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि एनआरसी फिलहाल असम में लागू हुआ है।
शाह ने कहा कि जिन लोगों के नाम एनआरसी में नहीं शामिल हैं, वे तहसील स्तर पर गठित न्यायाधिकरणों से संपर्क कर सकते हैं। जिन लोगों के पास अपील करने के लिए धन नहीं है, असम सरकार उनकी वित्तीय सहायता करेगी।
गृहमंत्री ने कहा कि मामले में वकील का खर्च सरकार वहन करेगी।
वास्तविक भारतीय नागरिकों को मान्य करने वाली एनआरसी की अपडेट अंतिम सूची में असम से 19 लाख से अधिक आवेदकों के नाम नहीं हैं।
इनमें से अधिकांश ऐसे लोग हैं, जो अपने दावों को साबित करने के लिए आवश्यक दस्तावेजों को प्रस्तुत नहीं कर सके हैं। उनके पास विदेशी नागरिक न्यायाधिकरणों में अपील करने और उसके बाद अदालतों का रुख करने का विकल्प मौजूद है।
असम में एनआरसी का उद्देश्य अवैध प्रवासियों की पहचान करना है। ये वे लोग हैं, जिन्होंने 25 मार्च, 1971 के बाद राज्य में प्रवेश किया और यहां गैर-कानूनी रूप से बस गए।