बुधवार को भी संसद के दोनों सदनों में कामकाज हंगामे की भेंट चढ़ गया। कांग्रेस जहाँ राफेल मुद्दे पर जेपीसी के गठन के लिए हंगामे पर अडी थी वहां डीएमके और एआइडीएमके कावेरी मुद्दे पर विरोध प्रदेशन कर रहे थे।
लोकसभा में जैसे ही स्पीकर सुमित्रा महाजन आसन पर विराजमान हुई एआइडीएमके सदस्य वेल में आ गए। उनके हाथों में कावेरी नदी पर बाँध बनाने के खिलाफ नारे लिखे हुए थे। वेल में एआईडीएमके सदस्यों के साथ कांग्रेस ने भी हंगामा शुरू कर दिया। कांग्रेस सदस्यों के हाथों में राफेल मुद्दे पर तख्तियां थी। वो जेपीसी जांच की मांग कर रहे थे।
प्रश्नकाल शुरू होने के 15 मिनट में ही मजबूरन स्पीकर सुमित्रा महाजन को कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। उसके बाद जब दुबारा संसद की कार्यवाही शुरू हुई विपक्षी सांसदों ने हंगामा जारी रखा। राफेल डील की जेपीसी जांच के लिए कांग्रेस के साथ साथ लेफ्ट और एआइय़ूडीएफ भी हंगामे में शामिल हो गई।
हंगामे के बीच कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे बोलने लगे। “राफले फाइटर जेट के डील में अनियमितताओं और कथित भ्रष्टाचार पर देश के लोगों के बीच गंभीर आशंका है। डील पर निर्णय देश की सुरक्षा के खिलाफ मनमाने ढंग से किया गया है और इसके परिणामस्वरूप एचएएल, एक सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम, और राष्ट्रीय राजकोष को भी भारी नुकसान पहुंचाया गया है। खड्गे ने कहा कि जवाबदेही तय करने के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) द्वारा इस मामले की जांच की जानी चाहिए।”
उन्होंने आगे कहा कि ये एक बहुत ही गंभीर मुद्दा है। इसलिए हम इसकी जेपीसी जांच की मांग कर रहे हैं। इसमें सभी फाइलों और विवरणों की जांच संसद द्वारा की जायेगी, सुप्रीम कोर्ट द्वारा नहीं। सुप्रीम कोर्ट का फैसला सरकार द्वारा दायर गलत विवरणों पर आधारित है।
सरकार की तरफ से संसदीय कार्य मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा कि सरकार हर तरह की चर्चा के लिए तैयार हैं लेकिन जेपीसी से जांच नहीं कराई जायेगी। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा “यदि विपक्ष बहस चाहता है तो हम पूरी तरफ से तैयार हैं।”
इस बीच राज्यसभा को किसी भी सार्थक बहस के बिना स्थगित कर दिया गया। राफले डील में जेपीसी जांच की मांग करने वाले प्लेकार्डों को पकड़कर, कांग्रेस सांसद एआईएडीएमके और द्रमुक सदस्यों से जुड़ गए, जो राज्यसभा की कारवाई शुरू होने के कुछ मिनटों के भीतर ही नारे लगाते और प्लेकार्ड लहराते वेल में आ गए।