Tue. Dec 24th, 2024
    un

    संयुक्त राष्ट्र, 4 मई (आईएएनएस)| संयुक्त राष्ट्र ने श्रीलंका में ईस्टर के दिन हुए आतंकवादी हमलों में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित की और नफरत और कट्टरता फैलाने के लिए सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर रोक लगाने के संबंध में कदम उठाने का आह्वान किया गया।

    महासभा की अध्यक्ष मारिया फर्नाडा एस्पिनोसा गार्सिस ने हमले में मारे गए 253 लोगों की याद में आयोजित एक कार्यक्रम में शुक्रवार को कहा, “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करते हुए, हमें पारंपरिक और सामाजिक मीडिया के माध्यम से हिंसा को बढ़ावा देने जैसी चीजों से निपटने के तरीके भी ढूंढ़ने होंगे।”

    उन्होंने कहा, “यह गंभीर बात है कि विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर आज की थीम : दुष्प्रचार के समय में पत्रकारिता है।”

    एस्पिनोसा ने कहा कि हमें यह जरूर सुनिश्चित करना चाहिए कि नई और विकसित हो रही तकनीकें मानव सुरक्षा को बढ़ावा दें न कि नुकसान पहुंचाए।

    उप महासचिव अमीना मोहम्मद ने नफरत फैलाने के लिए सोशल मीडिया के किए जा रहे इस्तेमाल के बारे में बात की।

    अमीना ने कहा, “दुनिया असहिष्णुता, विदेशियों के प्रति व्याप्त भय और नस्लवाद में एक खतरनाक वृद्धि का सामना कर रही है और आज ऐसी नफरत इंटरनेट पर आसानी से और तेजी से फैलती है।”

    उन्होंने कहा, “संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद और हिंसक चरमपंथ का मुकाबला करने और रोकने के अपने प्रयासों को मजबूत कर रहा है।”

    संयुक्त राष्ट्र में श्रीलंका के स्थायी प्रतिनिधि रोहन पेरेरा ट्विटर और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया को नियंत्रित करने के लिए आम सहमति बनाने का स्पष्ट रूप से आह्वान किया, ताकि इन्हें नफरत के प्रसार का माध्यम बनने से रोका जा सके।

    पेरेरा ने कहा, “यह हमारे लिए एक नियामक ढांचे पर एक अंतर्राष्ट्रीय सहमति की संभावना का पता लगाने का समय है।

    उन्होंने कहा, “यह महत्वपूर्ण है, अगर हमें लोकतांत्रिक स्थान को संरक्षित करना है तो फेसबुक और ट्विटर जैसे अन्य महत्वपूर्ण माध्यमों को दूसरों को नस्ल हिंसा और अतिवाद के बजाय स्वस्थ बहस को बढ़ावा देने के लिए उपयोग करना चाहिए।”

    श्रीलंका ने 21 अप्रैल को देश में हुए विस्फोटों के तुरंत बाद अस्थायी रूप से सोशल मीडिया प्रतिबंध लगा दिया था, क्योंकि इसका इस्तेमाल गलत जानकारी देने, अफवाहें फैलाने और समुदायों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा था। 30 अप्रैल को प्रतिबंध हटाया गया।

    अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद का उन्मूलन करने के उपायों के कार्यसमूह के अध्यक्ष पेरेरा ने सभी देशों से साथ में आकर ‘कॉम्प्रिहेन्सिव कन्वेंशन ऑन इंटरनेशनल टेररिज्म’ (सीसीआईटी) को अपनाने का आग्रह किया, जिसे 1996 में भारत द्वारा प्रस्तावित किया गया था।

    संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने भी सीसीआईटी पर समझौते को लेकर पेरेरा की अपील का समर्थन किया।

    अकबरुद्दीन ने कहा कि दो दशकों से अधिक समय से हमने सीसीआईटी मामले में एक परिणाम लाने की कोशिश की है।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *