संयुक्त राष्ट्र ने पाकिस्तान की नोबेल पुरस्कार विजेता शिक्षा कार्यकर्ता मलाला यूसुफजई को विश्व भर में इस दशक की सर्वाधिक प्रसिद्ध किशोरी करार दिया है। शिक्षा के लिए आवाज उठाने पर तालिबान आतंकियों ने 2012 में मलाला पर जानलेवा हमला किया था। हमले के बावजूद उन्होंने लड़कियों की शिक्षा के लिए आवाज उठाना जारी रखा और खुद की शिक्षा भी ब्रिटेन में जारी रखी। उन्हें उनके प्रयासों के लिए 2014 में शांति के नोबेल सम्मान से नवाजा गया था।
संयुक्त राष्ट्र ने अपनी एक समीक्षा के पहले भाग में मलाला के संबंध में यह ऐलान किया है। समीक्षा के इस पहले भाग में संयुक्त राष्ट्र ने 2010 से 2013 के बीच की घटनाओं पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित किया।
संयुक्त राष्ट्र ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि छोटी उम्र से पाकिस्तानी छात्रा मलाला यूसुफजई लड़कियों की शिक्षा के पक्ष में आवाज उठाने और तालिबान के अत्याचार को रेखांकित करने के लिए जानी जाती हैं।
रिपोर्ट में 2012 में पाकिस्तान के स्वात में स्कूल से लौटने के दौरान मलाला और अन्य लड़कियों पर तालिबान के जानलेवा हमले का जिक्र करते हुए कहा गया है, “मलाला की गतिविधियों और साथ ही उनके प्रोफाइल में इस जानलेवा हमले के बाद बढ़ोतरी हुई और उन्हें कई प्रतिष्ठित सम्मान से नवाजा गया। इनमें 2014 में शांति का नोबेल पुरस्कार और 2017 में संयुक्त राष्ट्र का शांति राजदूत बनना शामिल है।”
मलाला (22) को हाल में पत्रिका ‘टीन वॉग’ ने बीते दशक से जुड़े अपने संस्करण के लिए बतौर कवर पर्सन चुना। पत्रिका ने कहा है कि उसने शिक्षा कार्यकर्ता के साथ बीते दस साल का जायजा लेने का फैसला किया है।
अमेरिकी पत्रिका ने लिखा, “बीता दस साल विश्व भर में किशोरों की बेहतरीन, दुनिया बदल देने वाली मांगों का गवाह रहा है। टीन वॉग ने इस पर ध्यान दिया और हमने पाया कि एक इनसान है जिसके साथ बैठ कर इस धमाकेदार दशक पर विचार किया जा सकता है और वह है मलाला यूसुफजई।”