संयुक्त राष्ट्र, 4 मई (आईएएनएस)| संयुक्त राष्ट्र के ऑफिस फॉर डिजास्टर रिस्क रिडक्शन (ओडीआरआर) के अनुसार, भारत सरकार की चक्रवातों के लिए जीरो कैजुअल्टी नीति और भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के सटीक पूर्व-चेतावनी तंत्र ने चक्रवात फानी से जान-माल का नुकसान को कम करने में मदद की है।
जेनेवा में शुक्रवार को न्यूज ब्रीफिंग में ओडीआरआर के एक प्रवक्ता डेनिस मैकक्लीन ने कहा, “लगता है कि तूफान से मौत के मामले कम करने के लिए उन्होंने बहुत अच्छा काम किया है।”
उन्होंने कहा, “आईएमडी ने लगभग सटीक पूर्व-चेतावनियां जारी कीं, जिससे वे लगभग 11 लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर 900 चक्रवाती शिविरों में पहुंचाने की व्यवस्थित योजना को पूरा कर सके।”
ओडिशा में शुक्रवार को पहुंचे फानी की 175 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाली हवाओं से शनिवार सुबह तक 10 से कम लोगों की मौत हुई है।
मैकक्लीन ने कहा, “चक्रवातों से होने वाली मौतों के मामलों में भारतीय नीति साल 2013 में आए चक्रवात फालिन के बाद से सुधरी है, जब तूफान की तीव्रता कम होने के बावजूद 45 लोगों की मौत हो गई थी।”
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) की एक प्रवक्ता क्लेयर न्यूलिस ने कहा कि लगभग 10,000 लोगों की जान लेने वाले बेहद शक्तिशाली चक्रवाती तूफान बीओबी06 से सीख लेकर, लोगों को बचाने के लिए गहन सावधानियां बरती जा रही हैं। उन्होंने यह भी बताया कि फालिन में मरने वालों की संख्या 1999 से काफी कम रही थी।
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के एक प्रवक्ता स्टीफन डुजारिक ने न्यूयार्क में संवाददाताओं से कहा कि चक्रवात फानी से निपटने के लिए उठाए गए कदमों का जायजा लेने के लिए संयुक्त राष्ट्र की मानवतावादी एजेंसियों ने मुलाकात की।
संयुक्त राष्ट्र के राहत संगठनों के संसाधन पहले ही पिछले दो महीनों में इडाई और केनेथ तूफानों की दोहरी मार झेलने वाले पूर्वी अफ्रीकी देशों को सहयोग कर रहे हैं।
मोजाम्बिक में 14 मार्च को आए इडाई ने मेडागास्कर, मोजाम्बिक, मलावी और जिम्बाब्वे में तबाही मचाई, जिसमें लगभग एक हजार लोगों की मौत हुई। इसके छह सप्ताह बाद 24 अप्रैल को केनेथ ने कोमोरोस में हमला कर दिया तथा अगले दिन मोजाम्बिक पहुंच गया। दूसरे तूफान में लगभग 40 लोगों की मौत हो गई।