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    उत्तर कोरिया तेल प्रतिबंध

    संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने उत्तर कोरिया पर एक और नया व बड़ा प्रतिबंध लगाया है। इस नए प्रतिबंधों के तहत उत्तर कोरिया को तेल की आपूर्ति बेहद सीमित कर दी गई है। जिससे अब वो तेल का प्रयोग परमाणु व मिसाइल हथियारों के परीक्षण में नहीं कर पाएगा। तेल आपूर्ति के नए प्रतिबंध से उत्तर कोरिया को काफी संकट का सामना करना पड़ सकता है।

    अमेरिका द्वारा इस आशय से पेश किए गए प्रस्ताव को सर्वसम्मति से सुरक्षा परिषद में स्वीकार कर लिया गया। अमेरिका के इस प्रस्ताव पर चीन का पूरा समर्थन भी था। क्योंकि उत्तर कोरिया को तेल की अधिकांश आपूर्ति चीन के द्वारा की जाती है। अब नए प्रतिबंध उत्तर कोरिया पर करीब 75 प्रतिशत तक परिष्कृत तेल उत्पादों की आपूर्ति पर प्रतिबंध लगाता है।

    इसके अलावा प्रस्ताव में कहा गया है कि विदेशों में काम करने वाले उत्तर कोरियाई श्रमिकों को साल 2019 के अंत तक अपने देश में वापस से भेजा जाएगा। क्योंकि ये लोग पैसा इकट्ठा करके किम जोंग शासन को मदद पहुंचा रहे है। इसलिए तेल प्रतिबंधों के अलावा इनके प्रत्यावर्तन का आदेश भी शामिल किया है।

    कोरियाई प्रायद्वीप पर संकट खत्म होने के नहीं दिख रहे कोई आसार

    गौरतलब है कि 28 नवंबर को उत्तर कोरिया ने इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया था। इस परीक्षण के जवाब में ही सुरक्षा परिषद ने अब उत्तर कोरिया पर तेल आपूर्ति का प्रतिबंध लगाया है।

    इस साल उत्तर कोरिया पर ये तीसरा बड़ा प्रतिबंध है। कोरियाई प्रायद्वीप पर संकट खत्म होने के अमेरिका व उत्तर कोरिया के बीच अभी भी कोई आसार दिखाई नहीं दे रहे है।

    उत्तर कोरिया पर प्रतिबंधों के तहत कच्चे तेल की आपूर्ति प्रति वर्ष 4 मिलियन बैरल तक सीमित कर दिया गया है। साथ ही साल 2018 के लिए डीजल और केरोसिन सहित परिष्कृत पेट्रोलियम उत्पादों की सीमा को 5 लाख बैरल तक निर्धारित किया है।

    इन प्रतिबंधों से स्पष्ट है कि उत्तर कोरिया पर तेल का संकट बढ़ने वाला है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने कहा कि प्योंगयांग को एक स्पष्ट संदेश भेजने के लिए सर्वसम्मत वोट महत्वपूर्ण होगा ताकि वो परमाणु हथियार विकसित करने की अपनी महत्वाकांक्षा को छोड़ देना दे। परिषद ने उत्तर कोरिया के कोयला, लोहा, सीसा, वस्त्र और समुद्री भोजन के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगाया है।