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    santosh trophy

    शानदार फॉर्म में चल रही पंजाब की फुटबाल टीम रविवार को यहां अपने घरेलू दर्शकों के सामने सर्विसेस को मात देकर नौवीं बार संतोष ट्रॉफी का खिताब जीतना चाहेगी।

    अपने घरेलू मैदान पर पंजाब ने दमदार प्रदर्शन किया है। पिछले दौ मुकाबलों में मेजबान टीम ने कर्नाटक (ग्रुप-बी) और गोवा (सेमीफाइनल) के खिलाफ बेहतरीन जीत दर्ज की।

    मैच के पहले पंजाब के सहायक कोच बिक्रमजीत सिंह ने कहा, “जाहिर तौर पर घरेलू मैदान पर खेलने के अपने फायदे होते है। हमारे पीछे स्थानीय लोगों का समर्थन होगा जिससे खिलाड़ियों को प्रेरणा मिलेगी।”

    सर्विसेस के मुख्य कोच परशुराम सालवाड़ी ने भी बिक्रमजीत की बातों को दोहराया।

    सालवाड़ी ने कहा, “फाइनल में पंजाब जैसी टीम का सामना करना बहुत मुश्किल होगा, खासकर उनके घरेलू दर्शकों के सामने। हमने 2015 में उनका सामना किया था, लेकिन इस बार मुकाबल अगल होगा क्योंकि वह घरेलू टीम है। यह उनकी सबसे बड़ी ताकत है।”

    दोनों टीमें 2014-15 सीजन के फाइनल में एक-दूसरे से भिड़ी थी। मुकाबला इसी मैदान पर हुआ था। निर्धारित समय तक स्कोर 0-0 रहने के बाद मैच पेनाल्टी में गया जहां सर्विसेस ने 5-4 से बाजी मारी।

    बिक्रमजीत ने कहा, “हमारी टीम उनसे बेहतर है। हम उन्हें पहले कुछ मौको पर मात दे चुके हैं, लेकिन हमें सर्तक रहने की जरूरत है। उन्होंने भी हमें 2014-15 संतोष ट्रॉफी के फाइनल में हराया था इसलिए उन्हें हल्के में नहीं लिया जा सकता।”

    उन्होंने कहा, “उनके अटैक में बहुत अच्छा समन्वय है। हम कर्नाटक के खिलाफ उनका सेमीफाइनल मैच देखने के लिए पूरी टीम को स्टेडियम में लेकर आए और अपने खिलाड़ियों को समझाया कि विपक्षी टीम कैसे अटैक करती है। हमने उसके हिसाब से ही अपनी योजना बनाई है।”

    वर्ष 1941-42 में शुरू हुए इस टूर्नामेंट का खिताब सबसे ज्यादा बार बंगाल (32) ने जीता है। पंजाब इस मामले में दूसरे नंबर पर है।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

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