Sat. Nov 23rd, 2024

    आरती: जय सन्तोषी माता

    जय सन्तोषी माता, मैया जय सन्तोषी माता।
    अपने सेवक जन की सुख सम्पति दाता ॥
    ॥ जय सन्तोषी माता…॥

    सुन्दर चीर सुनहरी मां धारण कीन्हो।
    हीरा पन्ना दमके, तन श्रृंगार लीन्हो॥
    ॥ जय सन्तोषी माता…॥

    गेरू लाल छटा छबि बदन कमल सोहे।
    मंद हंसत करुणामयी, त्रिभुवन जन मोहे॥
    ॥ जय सन्तोषी माता…॥

    स्वर्ण सिंहासन बैठी चंवर दुरे प्यारे।
    धूप, दीप, मधु, मेवा, भोज धरे न्यारे॥
    ॥ जय सन्तोषी माता…॥

    गुड़ अरु चना परम प्रिय तामें संतोष कियो।
    संतोषी कहलाई, भक्तन वैभव दियो॥
    ॥ जय सन्तोषी माता…॥

    शुक्रवार प्रिय मानत आज दिवस सोही।
    भक्त मंडली छाई, कथा सुनत मोही॥
    ॥ जय सन्तोषी माता…॥

    मंदिर जग मग ज्योति मंगल ध्वनि छाई।
    विनय करें हम सेवक, चरनन सिर नाई॥
    ॥ जय सन्तोषी माता…॥

    भक्ति भावमय पूजा अंगीकृत कीजै।
    जो मन बसे हमारे, इच्छित फल दीजै॥
    ॥ जय सन्तोषी माता…॥

    दुखी दारिद्री रोगी संकट मुक्त किए।
    बहु धन धान्य भरे घर, सुख सौभाग्य दिए॥
    ॥ जय सन्तोषी माता…॥

    ध्यान धरे जो तेरा वांछित फल पायो।
    पूजा कथा श्रवण कर, घर आनन्द आयो॥
    ॥ जय सन्तोषी माता…॥

    चरण गहे की लज्जा रखियो जगदम्बे।
    संकट तू ही निवारे, दयामयी अम्बे॥
    ॥ जय सन्तोषी माता…॥

    सन्तोषी माता की आरती जो कोई जन गावे।
    रिद्धि सिद्धि सुख सम्पति, जी भर के पावे॥
    ॥ जय सन्तोषी माता…॥

    जय सन्तोषी माता, मैया जय सन्तोषी माता।
    अपने सेवक जन की सुख सम्पति दाता॥

    भजन: मैं तो आरती उतारूँ रे संतोषी माता की

    मैं तो आरती उतारूँ रे संतोषी माता की।
    मैं तो आरती उतारूँ रे संतोषी माता की।
    जय जय संतोषी माता जय जय माँ॥
    जय जय संतोषी माता जय जय माँ
    जय जय संतोषी माता जय जय माँ

    बड़ी ममता है बड़ा प्यार माँ की आँखों मे।
    माँ की आँखों मे।
    बड़ी करुणा माया दुलार माँ की आँखों मे।
    माँ की आँखों मे।
    क्यूँ ना देखूँ मैं बारम्बार माँ की आँखों मे।
    माँ की आँखों मे।
    दिखे हर घड़ी नया चमत्कार आँखों मे।
    माँ की आँखों मे।
    नृत्य करो झूम झूम, छम छमा छम झूम झूम,
    झांकी निहारो रे॥

    मैं तो आरती उतारूँ रे संतोषी माता की।
    मैं तो आरती उतारूँ रे संतोषी माता की।
    जय जय संतोषी माता जय जय माँ॥
    जय जय संतोषी माता जय जय माँ
    जय जय संतोषी माता जय जय माँ

    सदा होती है जय जय कार माँ के मंदिर मे।
    माँ के मंदिर मे।
    नित्त झांझर की होवे झंकार माँ के मंदिर मे।
    माँ के मंदिर मे।
    सदा मंजीरे करते पुकार माँ के मंदिर मे।
    माँ के मंदिर मे।
    वरदान के भरे हैं भंडार, माँ के मंदिर मे।
    माँ के मंदिर मे।
    दीप धरो धूप करूँ, प्रेम सहित भक्ति करूँ,
    जीवन सुधारो रे॥

    मैं तो आरती उतारूँ रे संतोषी माता की।
    मैं तो आरती उतारूँ रे संतोषी माता की।
    जय जय संतोषी माता जय जय माँ॥
    जय जय संतोषी माता जय जय माँ
    जय जय संतोषी माता जय जय माँ

    Santoshi Mata Aarti lyrics in English

    Jai Santoshi Mata
    Maiya Jai Santoshi Mata
    Apne sevak jan ki sukh sampati data
    Jai Santoshi Mata

    Sundar veer sunahari
    Ma dharan kinho
    Heera panna damake, tan shringar linho
    Jai Santoshi Mata

    Geru laal chhata chhavi
    Bbadan kamal sohe
    Mand hansat karunamayi
    Tribhuvan mann mohe
    Jai Santoshi Mata

    Svarna simhasan baithi
    Chavar dhure pyare
    Dhup deep madhu meva
    Bhog Dhare nyare
    Jai Santoshi Mata

    Gud aru chana param priya
    Tame santosh kiyo
    Santoshi kahalai
    Bhaktan vaibhav diyo
    Jai Santoshi Mata

    Shukravar priy manat aaj divas sohi
    Bhakt mandali chhai, katha sunat mohi
    Jai Santoshi Mata

    Mandir jagamag jyoti
    Mangal dhvani chai
    Vinay kare ham baalak
    Charanan sir nai
    Jai Santoshi Mata

    Bhakti bhavamay puja
    Angikrut kijai
    Jo mann base humare, ichha fal dijai
    Jai Santoshi Mata

    Dukhi daridri rogi sankata mukt kie
    Bahu dhan dhany bhare, ghar sukh saubhagy diye
    Jai Santoshi Mata

    Dhyan dharyo jis jan ne
    Manavanchhit fal payo
    Puja katha shravan kar
    Ghar anand ayo
    Jai Santoshi Mata

    Sharan gahe ki lajja, rakhiyo jagadambe
    Sankat tu hi nivare, dayamayi ambe
    Jai Santoshi Mata

    Santoshi ma ki aarti, jo koi nar gaave
    Riddhi siddhi sukh sampati jee bharakar pave
    Jai Santoshi Mata

    कुछ जरूरी सवाल-जवाब

    संतोषी माता की आरती कैसे करें?

    यह हमेशा बेहतर होता है कि आप अपने दैनिक कार्यों से मुक्त होने और स्नान करने के बाद जय संतोषी माता की आरती करें। संतोषी माता की मूर्ति या तस्वीर के सामने एक दीया जलाएं। माथा प्रसाद के साथ उसके लाल फूल चढ़ाएं और फिर आरती करें। अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए, आपको पहले आरती का अर्थ समझना चाहिए।

    जय संतोषी माता आरती का पाठ करने के क्या लाभ हैं?

    जय संतोषी माता की आरती का नियमित जाप आपकी मन की शांति देता है, आपकी आत्मा को शांत करता है और बुराई से लड़ने में मदद करता है। यह आपको स्वास्थ्य, धन और समृद्धि भी प्रदान करता है।

    संतोषी माता को प्रसन्न करने के लिए आपको कब व्रत करना चाहिए?

    भक्त 16 निरंतर शुक्रवार को संतोषी माता का उपवास करते हैं। श्रद्धालु संतोषी माता की पूजा फूल, धूप और भुने हुए चनों के साथ कच्चे गुड़ से करते हैं।

    संतोषी माता व्रत उदयन कैसे करें?

    16 शुक्रवारों के व्रत को प्रभावी ढंग से देखने के बाद, भक्तों को उदयन नामक एक अनोखा रिवाज निभाना चाहिए। यह आठ बच्चों को भोजन देकर किया जाता है। उदयन को संतोषी माता की कथा कथा पूजा का समापन भी कहा जाता है। उदयन के आगमन पर, आपको माता संतोषी की कहानी सुनाने और उसके बाद जय माँ संतोषी आरती करने की आवश्यकता है। अंत में प्रसाद वितरित करें। याद रखें कि आप बच्चों के लिए किसी भी खट्टी खाद्य सामग्री का उपयोग और सेवा नहीं कर सकते हैं।

    [ratemypost]

    यह भी पढ़ें:

    By विकास सिंह

    विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *