संघ लोक सेवा आयोग (Union Public Service कमीशन – UPSC) हमारे देश की एक ऐसी संवैधानिक संस्था है जिसका प्रमुख काम सिविल सर्विस के विभिन्न परीक्षाओं को संपन्न कराना है। इसके बाद ही सिविल सर्विस के कई पदों की नियुक्ति हो पाती है।
यह देश का प्रमुख भर्ती (recruitment) एजेंसी है जिसके कारण अखिल भारतीय सर्विस के group A एवं group B भागों में नियुक्ति होती है। नियुक्ति के लिए यह संसथान पहले राष्टीय स्तर पर परीक्षाएं संपन्न करवाती है। इसका अधिकार क्षेत्र भारतीय गणतंत्र है एवं मुख्यालय नई दिल्ली है।
वर्तमान में अरविन्द सक्सेना इसके प्रधान (chairman) हैं। इसकी स्थापना 1 अक्टूबर 1926 को हुई थी। UPSC सीधे देश के राष्ट्रपति को रिपोर्ट करती है एवं कई महत्वपूर्ण फैसले लेने के लिए स्वतन्त्र है। यह अपने खुद के सेक्रेटेरिएट के माधयम से कार्य करती है।
स्वतंत्रता से पहले UPSC को Federal Public Service Commission के नाम से जाना जाता था, जिसकी स्थापना ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत सरकार एक्ट, 1935 के अंतर्गत की गयी थी। चुनाव आयोग और उच्च न्यायलय के अलावा UPSC ही ऐसी एक संस्थान है जो स्वतन्त्र रूप से कार्य करती है।
भारतीय संविधान के Part XIV में यूनियन एवं राज्य के अंतर्गत सर्विस – आर्टिकल नंबर 315 से 323 तक में UPSC और सभी राज्य का अपना लोक सेवा आयोग (Public Service Commission) के होने का जिक्र है।
नियुक्ति, स्थानांतरण, प्रमोशन, अनुशाषण सम्बंधित मामले आदि में सरकार हमेशा UPSC की राय लेती है।
संवैधानिक स्थिति (Constitutional Status of UPSC)
UPSC के सदस्यों की नियुक्ति
UPSC के चेयरमैन एवं सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा की जाती है। अगर किसी कारणवश चेयरमैन की कुर्सी खाली हो जाए तो पैनल का कोई सदस्य अगली नियुक्ति तक उसकी जगह ले लेता है।
पैनल के आधे सदस्य वह होते हैं जिन्होंने भारत सरकार या राज्य सरकार के अंतर्गत कम से कम दस साल तक किसी क्षेत्र में कोई पदभार संभाला हो।
नियम और कानूनों के अनुसार के अनुसार सदस्य छह साल के लिए UPSC पैनल के सदस्य के रूप में पदभार ग्रहण करता है। पैनल के नियम और कानून राष्ट्रपति तय करते हैं और उनको इसमें बदलाव करने का भी पूरा अधिकार है।
निम्नलिखित कारणों के कारण सदस्य या चेयरमैन हटाए जा सकते हैं:
- आर्टिकल 317 के अनुसार पैनल का कोई सदस्य दुर्व्यवहार करता है तो सबसे पहले उसके खिलाफ जाँच कमिटी बिठाई जाती है। फिर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राष्ट्रपति उसे हटा देते हैं।
- अगर सदस्य काम करने हेतु उपयुक्त न हो।
- अपने कार्यकाल के दौरान वह किसी दूसरे प्रदत्त (paid) पदभार को संभल रहा हो।
- वह अपनी भूमिका ठीक से नहीं निभा रहा।
UPSC पैनल के वर्तमान सदस्य
- अरविन्द सक्सेना (चेयरमैन)
- प्रो. डा. प्रदीप कुमार जोशी
- भीम सैन बस्सी
- एयर मार्शल A.S. भोंसले (रिटयर्ड)
- सुजाता मेहता
- डा. मनोज सोनी
- स्मिता नागराज
- सत्यवती
संघ लोक सेवा आयोग के कार्य (Functions of UPSC)
UPSC के कार्य इस प्रकार हैं:
- कई पोस्ट एवं सर्विस में भर्ती के लिए प्रतियोगी परीक्षा का संचालन करवाना। यह भर्ती का नियमित तरीका है जिसमे परीक्षा एवं साक्षात्कार के बाद अव्वल प्रतियोगियों को चुना जाता है।
- सीधे भर्ती के द्वारा केंद्रीय सरकार के तहत आने वाले पदों की भारती करना। अगर किसी नौकरी में बहुत ज्यादा सीट खाली है या पहले ठीक से नहीं की गयी तो यह तरीका अपनाया जाता है। ज्यादातर मामलों में सीधे इंटरव्यू के बाद ही प्रतियोगी चुन लिए जाते हैं, लेकिन कभी कभी लिखित परीक्षा भी लिया जाता है।
- ट्रांसफर, निकसन, किसी अधिकारी के व्यव्हार, प्रमोशन आदि के बारे में सरकार को अपनी राय देना।
- किसी सर्विस या पोस्ट से सम्बंधित सभी बातों पर सरकार को अपनी राय देना।
- सिविल सर्विस से जुड़े अनुशाषण के विभिन्न मामले देखना।
- पेंशन से जुड़े मामले, क़ानूनी मामले आदि देखना।
संघ लोक सेवा आयोग की संरचना (Organisational structure of UPSC)
पैनल में चेयरमैन को मिलाकर 11 सदस्य हो सकते हैं। हर सदस्य छह साल के लिए चयनित होता है एवं उसके सेवानिवृत होने की उम्र 65 रहती है।
इसके नियम और कानून UPSC (Members) Regulation, 1999 के तहत आती है। पैनल का कोई भी सदस्य कभी भी अपने हिसाब से राष्ट्रपति को अपना त्यागपत्र देने के लिए स्वतंत्र है।
अगर उसके खिलाफ कोई मामला पाया गया तो जाँच कमिटी बिठाया जायगा जिसके बाद राष्ट्रपति उसे निष्काषित भी कर सकते हैं।
आर्टिकल 322 के अनुसार Consolidated Fund of India से सदस्यों को वेतन एवं अन्य भुगतान की प्राप्ति होती है।
हर साल UPSC का वार्षिक रिपोर्ट तैयार होता है और राष्ट्रपति को सौंपा जाता है। राष्रपति इसे लोक सभा, राज्य सभा आदि के सामने रखते हैं।
सेक्रेटेरिएट
UPSC को एक सेक्रेटेरिएट चलाती है जिसके तहत एक secretary, चार अतिरिक्त सेक्रेटरी, बहुत सारे जॉइंट सेक्रेटरी, उप सेक्रेटरी और दूसरे कर्मचारी आते हैं। प्रशाशनिक कारणों से इसको निम्नलिखित कई भागों में विभाजित किया गया है जिसके अंतर्गत बहुत सारे कार्य आते हैं:
- प्रशासन: सचिवालय के साथ-साथ आयोग के अध्यक्ष / सदस्यों और अन्य अधिकारियों / कर्मचारियों के व्यक्तिगत मामलों की देखभाल करता है।
- अखिल भारतीय सेवाएं: अखिल भारतीय सेवाओं में भर्ती या तो सीधी भर्ती, सिविल सेवा परीक्षा के माध्यम से या राज्य सेवा से पदोन्नति द्वारा की जाती है। AIS शाखा राज्य सेवा के अधिकारियों की पदोन्नति IAS, IPS और IFS को संभालती है। यह अखिल भारतीय सेवाओं से संबंधित नीतिगत मामलों को भी संभालता है और संबंधित सेवाओं के ‘संवर्धन विनियम’ में संशोधन करता है।
- नियुक्तियाँ: यह पदोन्नति के आधार पर केंद्रीय सेवाओं (विभिन्न मंत्रालयों / विभागों / केंद्र शासित प्रदेशों और कुछ स्थानीय निकायों से प्रस्तावों के आधार पर) और प्रतिनियुक्ति और अवशोषण के साधनों के आधार पर नियुक्तियाँ करती हैं।
- परीक्षा: यह भारत सरकार के ग्रुप ए और ग्रुप बी सेवाओं के लिए विभिन्न परीक्षाओं के माध्यम से उम्मीदवारों के योग्यता-आधारित चयन और सिफारिश को पूरा करता है।
- सामान्य: मुख्य रूप से आयोग के लिए दिन-प्रतिदिन के हाउसकीपिंग कार्यों से संबंधित है, जैसे, यूपीएससी द्वारा परीक्षाओं के संचालन के लिए व्यवस्था और सुविधा, वार्षिक रिपोर्ट छापना आदि।
- भर्ती: यह शाखा सभी ग्रुप `ए ‘और कुछ ग्रुप` बी’ के चयन के द्वारा डायरेक्ट रिक्रूटमेंट (3 संभावित तंत्रों में से: ‘सीधी भर्ती’, ‘पदोन्नति द्वारा भर्ती’ और ‘ट्रांसफर द्वारा भर्ती और स्थायी अवशोषण’) करती है। संघ की सेवाओं के पद (कुछ केंद्र शासित प्रदेशों सहित)। ये भर्ती चयन (साक्षात्कार) या प्रतियोगी परीक्षा के माध्यम से की जाती है।
- भर्ती नियम: आयोग कला के तहत अनिवार्य है। भारत के 320 संविधान, UPSC (परामर्श से छूट) विनियम, 1958 के साथ, भारत सरकार में विभिन्न ग्रुप ए और ग्रुप बी के पदों के लिए भर्ती और सेवा नियमों के निर्धारण और संशोधन के बारे में सलाह देने के लिए पढ़ा जाता है, और कुछ निश्चित रूप से स्वायत्त संगठन जैसे ईपीएफओ, ईएसआईसी, डीजेबी, एनडीएमसी और दिल्ली के नगर निगम (एस)। यह शाखा इस संबंध में मंत्रालयों / विभागों / संघ राज्य क्षेत्र प्रशासनों / स्वायत्त संगठनों को सुविधा प्रदान करके इस जिम्मेदारी को वहन करती है।
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