श्रीलंका ने चीन की सहायता से निर्मित नयी रेलवे लाइन को खोल दिया है। यह तटीय शहर हबनटोटा को मातरा और बेलियत्ता से जोड़ता है। 26.7 किलोमीटर लम्बे मातरा-बेलियत्ता रेलवे एक्सटेंशन का सबसे पहले निर्माण साल 1948 में किया गया था। यह देश का सबसे लम्बा और दूसरा सबसे लम्बा रेलवे पुल था। इसकी लम्बाई 1.5 किलोमीटर और 1.04 किलोमीटर था।
इस रेलवे एक्सटेंशन को वित्तीय सहायता एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट बैंक ऑफ़ चाइना ने किया था और इस कॉन्ट्रैक्ट को चीन की नेशनल मशीनरी इम्पोर्ट एंड एक्सपोर्ट कारपोरेशन को दी थी। श्रीलंका की मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत 27.8 करोड़ डॉलर था।
इस प्रोजेक्ट के अधिकतर भाग का निर्माण चाइना रेलवे ग्रुप 5 और श्रीलंका के सेंट्रल इंजीनियरिंग कंसल्टेंसी ब्यूरो ने किया था। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने इस प्रोजेक्ट को बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव कीस सफलता बताई है।
उन्होंने कहा कि “बीआरआई के तहत श्रीलंका के इस रेलवे प्रोजेक्ट का निर्माण कार्य पहले चीनी कंस्ट्रक्टेड को कंपनी को सौंपा गया था। देश की स्वतंत्रता के बाद पहले रेलवे का निर्माण हुआ है। यह क्षेत्रीय परिवहन को अधिक सुविधाजनक बना देगा और इससे स्थानीय आर्थिक और सामाजिक विकास भी होगा।”
रेल ट्रैक के निर्माण कार्य की शुरुआत साल 1991 में पूर्व राष्ट्रपति रणसिंघे प्रेमदेसा के कार्यकाल में हुई थी। इसकी नींव का पत्थर मातरा रेलवे स्टेशन पर अभी भी देखा जा सकता है। श्रीलंका पर चीनी कर्ज का एक बहुत बड़ा भाग है और हालिया वर्षों ने चीन ने श्रीलंका में 8 अरब डॉलर का निवेश किया है।
श्रीलंका पर चीन के भारी कर्ज को लौटाने की चिंता भी बढ़ गयी है। साल 2017 में चीन को कर्ज की वापसी न कर पाने के कारण हबनटोटा बंदरगाह को कोलोंबो ने बीजिंग को सौंप दिया था। चीन की महत्वकांक्षी परियोजना बीआरआई की वैश्विक जगत में काफी आलोचना हुई है। पश्चिमी देशों के मुताबिक चीन छोटे देशों को कर्ज के जाल में फंसा रहा है।