श्रीलंका में शनिवार को देशभर में आठवें राष्ट्रपति के चुनाव के लिए मतदान हो रहे हैं, जिसे लगभग तीन दशक लंबे गृहयुद्ध और महज सात महीने पहले ईस्टर के दिन हुए हमले के जख्मों से अभी भी उबरना बाकी है। समाचार पत्र डेली मिरर के अनुसार, 12,845 मतदान केंद्रों पर सुबह 7 बजे शुरू हुआ मतदान शाम 5 बजे समाप्त होगा।
कुल 15,992,096 श्रीलंकाई अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने के पात्र हैं, जो रिकॉर्ड 35 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करेंगे।
चुनाव आयोग (ईसी) के एक अधिकारी ने कहा कि चुनाव परिणाम शनिवार रात तक अपेक्षित हैं।
डेली मिरर ने अधिकारी के हवाले से कहा, “हम सटीक समय नहीं बता सकते। लेकिन, यह मध्यरात्रि में होगा। यह सब चुनाव ड्यूटी और मतगणना अधिकारियों की क्षमता पर निर्भर करता है।”
समाचार एजेंसी एफे के मुताबिक, हालांकि, चुनाव मैदान में 35 उम्मीदवार हैं, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि केवल सत्तारूढ़ न्यू डेमोक्रेटिक फ्रंट (एनडीएफ) गठबंधन के साजित प्रेमदासा (52) और श्रीलंका पोडुजना पेरमुना (एसएलपीपी) के गोताबेया राजपक्षे (70) राष्ट्रपति पद के प्रमुख दावेदार हैं।
गोताबेया एक सेवानिवृत्त सैनिक हैं, जिन्होंने उस समय के दौरान श्रीलंका के रक्षा विभाग का कार्यभार संभाला था, जब उनके बड़े भाई, महिंद्रा राजपक्षे राष्ट्रपति (2005-2015) थे और जब श्रीलंका ने 2009 में लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) के साथ अपना युद्ध समाप्त किया था।
उन्होंने अप्रैल में ईस्टर के दिन हुए हमलों के मद्देनजर मजबूत राष्ट्रीय सुरक्षा का वादा करते हुए, राष्ट्रवादी और सिंहली बौद्ध बहुमत के चैंपियन के रूप में राष्ट्रपति अभियान के दौरान खुद को पेश किया है।
वहीं दूसरी ओर, इस सवाल पर कि उन्होंने नामांकन दाखिल करने से पहले अपनी अमेरिकी नागरिकता छोड़ी है या नहीं,उनकी उम्मीदवारी की वैधता पर विवाद छिड़ गया है।
इस बीच, साजित प्रेमदासा, राणासिंघे प्रेमदासा के पुत्र हैं, जिन्होंने 1989 से मई 1993 में कोलंबो में लिट्टे द्वारा आत्मघाती बम विस्फोट में मारे जाने तक राष्ट्रपति के रूप में सेवा दी।
आवास और निर्माण मंत्री प्रेमदासा को गोताबेया को हराने के लिए सबसे संभावित दावेदार के रूप में देखा जा रहा है और उन्होंने मुस्लिम और तमिल अल्पसंख्यकों के लिए लड़ने का संकल्प लिया है, जो मानते हैं कि उनके सत्ता में आने से उनके अधिकारों की रक्षा करने में मदद मिल सकती है।
अल्पसंख्यक तमिलों और मुसलमानों के वोटों ने भी जनवरी 2015 में राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना के चुनाव में प्रमुख भूमिका निभाई थी।
अन्य मुख्य उम्मीदवार मार्क्सवादी पार्टी जनमत विमुक्ति पेरमुना (जेवीपी) के नेता अनुरा कुमारा डिसानायके हैं, जिनेक कारण 1971 और 1987-1988 में युवा विद्रोह हुए।
चौथे लोकप्रिय दावेदार सेना के पूर्व कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल महेश सेनानायके हैं,जिन्होंने पिछले अगस्त में सेना छोड़ने के बाद नेशनल पीपल्स पार्टी (एनपीपी) का गठन किया।
अगर प्रेमदासा चुनाव जीतते हैं, तो वर्तमान कैबिनेट और सरकार अगले आम चुनाव तक जारी रहेगी और अगर गोताबेया राजपक्षे जीत हासिल कर लेते हैं और संसद में 113 के आंकड़ों वाले बहुमत को साबित करते हैं, तो सरकार बदलने की संभावना है।