श्रीलंका के राष्ट्रपति पद के चुनाव में गोटाबाया राजपक्षे की जीत पर पाकिस्तान के राजनैतिक गलियारों में खुशी जताई जा रही है। मीडिया में भी राजपक्षे की जीत को ‘पाकिस्तान के लिए खुशी व भारत के लिए झटका’ या ‘पाकिस्तान में खुशी व भारत में मातम’ जैसी सुर्खियों के साथ प्रकाशित किया गया है।
‘एक्सप्रेस न्यूज’ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि श्रीलंका के मौजूदा प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को भारत का करीबी माना जाता है। उनकी युनाइटेड नेशनल पार्टी के उम्मीदवार सजित प्रेमदासा की जीत की कामना भारत कर रहा था। जबकि, पाकिस्तान में पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के भाई गोटाबाया राजपक्षे की जीत की कामना की जा रही थी। गोटाबाया की जीत पाकिस्तान के लिए राहत भरी खबर है।
रिपोर्ट में यहां तक दावा किया गया है कि सितंबर में श्रीलंका क्रिकेट टीम के पाकिस्तान दौरे पर उस वक्त संकट के बादल मंडराए थे जब प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे के आफिस ने पाकिस्तान में सुरक्षा स्थिति पर विपरीत रिपोर्ट दी थी।
रिपोर्ट में कहा गया कि टीम का पाकिस्तान दौरा तब हुआ जब यह साफ हुआ कि ‘यह भारत था जिसने श्रीलंका के प्रधानमंत्री कार्यालय का इस्तेमाल टीम का दौरा रद्द कराने के लिए फर्जी आतंकी अलर्ट फैलाकर किया था।’
रिपोर्ट के मुताबिक, श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे भारत के नजदीकी माने जाते हैं और 2016 में पाकिस्तान में सार्क सम्मेलन के बहिष्कार में उन्होंने भारत का साथ दिया था।
पाकिस्तान के विदेश विभाग के एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर ‘एक्सप्रेस न्यूज’ से कहा, “वह (विक्रमसिंघे) भारत के इतने नजदीकी थे कि पूरे कार्यकाल उनका रवैया पाकिस्तान के प्रति ठंडा बना रहा।”
अधिकारी ने कहा, “अगर राष्ट्रपति चुनाव में (सजित) प्रेमदासा की जीत हो जाती तो यह पाकिस्तान के लिए घातक होता।” उन्होंने कहा कि प्रेमदासा को न केवल भारत का समर्थन था, बल्कि उन पश्चिमी देशों का भी समर्थन था जो श्रीलंका को चीन के कैंप से दूर रखना चाहते हैं।
अधिकारी ने कहा कि हालांकि, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजपक्षे को बधाई देने में देरी नहीं की लेकिन सच तो यह है कि भारत में (राजपक्षे की जीत पर) ‘मातम’ मनाया जा रहा होगा।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि माना जाता है कि श्रीलंका में 2015 के चुनाव में भारत, अमेरिका और कुछ यूरोपीय देशों ने सीधे हस्तक्षेप कर चीन से नजदीकी रखने वाले महिंदा राजपक्षे की हार सुनिश्चित की थी। तभी से राजपक्षे परिवार के संबंध भारत से अच्छे नहीं हैं।
एक अन्य अधिकारी ने कहा, “गोटाबाया राजपक्षे की जीत निश्चित ही पाकिस्तान के लिए एक सकारात्मक बात है।”