श्रीलंका में नाटकीय अंदाज मे सत्ता का परिवर्तन कर दिया गया था। एक प्रधानमंत्री को बहुमत के बावजूद अयोग्य बताते हुए राष्ट्रपति ने बेदखल कर दिया और उसी दिन किसी दूसरे नेता को प्रधानमन्त्री बना दिया था।
श्रीलंका में मंगलवार को पूर्व प्रधानमंत्री रनिल विक्रमसिंघे के समर्थन में सैकड़ों नागरिकों ने रैली निकाली। उन्होंने मांग की कि सरकार को सदन में आपात बैठक बुलाकर बहुमत साबित करना चाहिए।
श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रिपाला सिरिसेना ने पूर्व प्रधानमंत्री रनिल विक्रमसिंघे की पार्टी से सम्बन्ध तोड़ उन्हें प्रधानमन्त्री के पद से हटा दिया था। इस राजनीतिक संकट के बाद लोगों का हुजूम सड़कों पर उतर आया था और राष्ट्रपति के फैसले के खिलाफ प्रदर्शन किया था। संसद के स्पीकर कालू जयसूर्या ने तत्काल सदन की बैठक बुलाने की मांग की और बहुमत साबित करने को कहा था।
रनिल विक्रमसिंघे के दल यूनाइटेड नेशनल पार्टी के नेता हर्ष डे सिल्वा ने कहा कि प्रधानमंत्री से अधिकारिक निवास, मंदिर सब छीन लिया गया हैं। रनिल विक्रमसिंघे के पास बहुमत है इसलिए उन्होंने प्रधानमंत्री आवास नहीं छोड़ा है। उन्होंने कहा कि यह सब भयभीत करने वाला दृश्य है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमन्त्री के सुरक्षा कर्मियों और यहाँ तक की रसोईघर भी छीन लिया गया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति सिरिसेना को संसद को बहाल करना होगा और इस देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था का सम्मान करना होगा।
मैत्रिपाला सिरिसेना ने 16 नवम्बर तक के लिए संसद को भंग कर दिया है। श्रीलंका के राष्ट्रपति कार्यालय ने कहा कि देश पूरी तरह से स्थिर है। संसद भाग कर राजपक्षे की पीएम बनाने के बाबत उन्होंने कहा कि यह श्रीलंका की आन्तरिक राजनीतिक मसला है कोई राजनितिक षड़यंत्र नहीं है।
उन्होंने कहा जब ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमन्त्री मल्कोम टुर्बुनेल को सत्ता से हटाया था वो अधिक राजनीतिक से प्रेरित थ। उन्होंने कहा कि 16 नवम्बर को राष्ट्रपति संसद को बहाल कर देंगे।
महिंदा राजपक्षे के बेटे नमल राजपक्षे ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय अराजकता का रोना पीट रहा है, तब किसी ने नहीं देखा जब रनिल विक्रमसिंघे ने कई दफा संविधान का उल्लंघन किया था। उन्होंने कहा कि रानिल विक्रमसिंघे के कार्यकाल के दौरान अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और नागरिक समूहों ने आँखे मूँद रखी थी।