Mon. Dec 23rd, 2024
    महिंदा राजपक्षे और मैत्रिपाला सिरिसेना

    श्रीलंका में राजनीतिक संकट गहराता जा रहा है। पिछले हफ्ते संसद की बैठक में विवादित प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के समर्थकों ने विपक्षी दलों के सांसदों पर हमला कर दिया था। श्रीलंका में पिछले दो हफ़्तों से राजनीतिक उथल-पुथल मची हुई है, जिसका भारत पर असर गहरा पड़ेगा।

    भारत को कैसे प्रभावित करेगा यह राजनीतिक संकट ?

    श्रीलंका के इस संकट से भारत को झटका लग सकता है, विवादित प्रधानमंत्री को चीन का समर्थक माना जाता है। लम्बे समय से श्रीलंका में चल रहे तमिल विद्रोह को खत्म करने के लिए पूर्व राष्ट्रपति ने हिंसा का सहारा लिया था। भारत के साथ श्रीलंका के मतभेद बढ़ने का बहुत बड़ा कारण तमिल विद्रोह को हिंसात्मक ढंग से कुचलना था।

    श्रीलंका के हालिया राजनीतिक संकट में चीन की भी भूमिका है। श्रीलंका में तैनात चीनी राजदूत ने सबसे पहले विवादित प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे को बधाई दी थी। इसके तुरंत बाद चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भी महिंदा राजपक्षे को प्रधानमंत्री बनने की बधाई दी थी। चीन ने श्रीलंका के साथ कई ढांचागत परियोजनाओं पर हस्ताक्षर किये हैं।

    श्रीलंका में इस राजनीतिक संकट के रचियता राष्ट्रपति मैत्रिपाला सिरिसेना है और इसके महत्वपूर्ण पीड़ित किरदार रानिल विक्रमसिंघे हैं। ऐसा लगता है कि भारत ने हिन्द महासागर में चीन की उपस्थिति को स्वीकार लार लिया है, लेकिन भारत अपने हाथ से मालदीव और श्रीलंका जैसे हितकारी राष्ट्रों को नहीं गंवाना चाहता है।

    भारत के लिए श्रीलंइ का में हजारों श्रीलंकाई तमिलों का पुनर्निवास प्राथमिक मुद्दा है। जब तक यह मसला सुलझ नहीं जाता, भारत इस मसले को श्रीलंकाई सरकार के समक्ष उठाता रहेगा। श्रीलंका के तमिल अल्पसंख्यक और तमिलनाडु के तमिलों के मध्य भाषाई, सांस्कृतिक और समानता का जुडाव है। भारतीय विश्लेषक के मुताबिक श्रीलंका के तमिल उनके समस्याओं के समाशन के लिए भारत की ओर देख रहे हैं।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *