श्रीलंका के दो बौद्ध धार्मिक नेताओं ने लद्दाख को केन्द्रशासित प्रदेश का दर्जा देने के भारत के कदम का स्वागत किया है। लद्दाख में बहुसंख्यक बौद्ध धर्म के नागरिक हैं। उन्होंने कहा कि “यह दोनों देशो के संबंधों को मजीद मज़बूत करेगा।” श्रीलंका की वेबसाइट डेली न्यूज़ के मुताबिक, महानायके थेरेतास ऑफ़ द माल्वात्ते और असगिरिया चैप्टर्स ऑफ़ द सियाम निकाया दो बौद्ध धार्मिक नेताओं ने दो भिन्न बयानों में गुरूवार को नई दिल्ली के ऐतिहासिक कदम का स्वागत किया था।
महानायके थेरेतास ऑफ़ द माल्वात्ते ने बयान में उन्होंने कहा कि “यह हमारे राजनीतिक, धार्मिक और संस्कृतिक संबंधों को मज़बूत करेंगे और और एक ऊँचा मुकाम देंगे।” बयान में कहा कि “पुरुष प्रधान समाज भारत ने सराहनीय तरीके से समरस्ता और सुलह की रक्षा की है और 70 फीसदी बौद्ध नागरिको के लद्दाख को एक अलग राज्य मानने का निर्णय श्रीलंका के लिए गौरवऔर ख़ुशी का कारण है।”
असगिरिया चैप्टर्स ऑफ़ द सियाम निकाया ने बयान में कहा कि “लद्दाख को एक अलग केन्द्रशासित प्रदेश के रूप में मान्यता देने के निर्णय बेहद सराहनीय है। यह समस्त विश्व में बौद्ध समुदाय के लिए बेहतर है जो लद्दाख में श्रद्धालु के तौर पर आना चाहते हैं।”
भारत की सरकार ने सोमवार को आर्टिकल 370 को वापस ले लिया था जो जम्मू कश्मीर को एक विशेष दर्जा देता था और जम्मू कश्मीर को अलग राज्य का दर्जा देने के लिए एक अलग विधेयक पेश किया था। भारत की सराहना में श्रीलंका के प्रधानमन्त्री रानिल विक्रमसिंघे ने ट्वीट किया कि “आखिरकार लद्दाख एक केन्द्रशासित प्रदेश बन गया है। यह पहला भारतीय देश होगा जहाँ बौद्ध बहुसंख्यक है नागरिक है।”