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    सिरिसेना राजपक्षे श्रीलंका

    श्रीलंका के प्रधानमंत्री की कुर्सी बेहद नाटकीय अंदाज़ में पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को सौंप दी थी। अपने पिछले राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान महिंदा राजपक्षे चीन के हितैषी थे। महिंदा राजपक्षे ने अपने राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान श्रीलंका का मुख्य बंदरगाह चीन को सौंप दिया था। उनके इस कदम से भारत की परेशानिययों में इजाफा हुआ था।

    श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रिपाला सिरिसेना ने गुपचुप तरीके से राजपक्षे को प्रधानमंत्री की गद्दी सौंपकर सभी को सकते में डाल दिया था। भारत चिंतित है कि चीन इस द्वीप पर अपनी पकड़ मज़बूत करने कोशिश करेगा।

    भारत-चीन के विशेषज्ञ श्रीकांत ने बताया कि चीन के लिए यह एक सुनहरा अवसर है। उन्होंने कहा कि चीन ने पीएम राजपक्षे और हबंटोटा बंदरगाह पर निवेश किया था। हबंटोटा बंदरगाह श्रीलंका के दक्षिणी भाग में स्थित है जहां चीन 1.5 बिलियन डॉलर का निवेश कर हवाईअड्डा और उद्योगिक शेत्र का निर्माण करेगा।

    श्रीलंका में मौजूद चीन के राजदूत ने पीएम राजपक्षे के प्रधानमंत्री बनने के बाद सबसे पहले उनसे भेंट की थी। साथ ही चीन के प्रधानमन्त्री ली केकुइकंग ने महिंदा राजपक्षे को प्रधानमंत्री बनने की बधाई दी थी। राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने पूर्व प्रधानमंत्री रनिल विक्रमसिंघे की पार्टी से गठबंधन तोड़कर महिंदा राजपक्षे को प्रधानमंत्री पद पर बैठाने का ऐलान किया था।

    रनिल विक्रमसिंघे भारतीय समर्थित प्रधानमंत्री थे। उन्होंने कहा कि उन्हें अवैध तरीके से गद्दी से हटाया गया और वह अभी भी श्रीलंका के प्रधानमन्त्री हैं। संसद में उनके पास बहुमत है।

    श्रीलंका में भारत और चीन की दुश्मनी का खेल चल रहा है। सूत्रों के मुताबिक भारत के कूटनीतिक राजपक्षे के खेमे में हैं। भारतीय अधिकारी ने कहा कि नई दिल्ली श्रीलंका के नए नेता के साथ व्यापार को तत्पर है लेकिन उसकी नियुक्ति श्रीलंका के संविधान के मुताबिक होनी चाहिए।

    भारत के विदेश विभाग के प्रवक्ता ने कहा कि नई दिल्ली की सरकार श्रीलंका के नागरिकों के विकास में सहायता के लिए तैयार है। राष्ट्रीय स्वंसेवक संघ के नेता ने कहा कि उन्हें यकीन है कि भारत और श्रीलंका नए प्रतिनिधित्व में बेहतर रिश्ते कायम करेगा।

    श्रीलंका और मालदीव जैसे देशों में भारी निवेश का कारण चीन की काफी आलोचना हुई है। चीन पर आरोप लगा कि वह छोटे राष्ट्रों में निवेश करके उन्हें कर्ज के दलदल में फंसा देता है। चीन ने श्रीलंका की राजनितिक उथल पुथल के बाबत कहा कि बीजिंग को श्रीलंका की जनता और सरकार पर विश्वास है कि वे इन हालातों से उभर जायेगे। उन्होंने कहा कि सभी मसले बातचीत से हल कर लिए जायेंगे।

    सूत्रों के मुताबिक श्रीलंका का राजनितिक संकट चीन के फायेदेमंद साबित होगा। श्रीलंका की अर्थव्यवस्था बुरे दौर से गुजर रही है। हालांकि मालदीव में चीनी समर्थक सरकार को हार का स्वाद चखना पड़ा था।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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