Mon. Dec 23rd, 2024
    श्रीलंका के भयावह हमले की जिम्मेदारी आईएस ने ली

    श्रीलंका में ईस्टर हमले के बाद अल्पसंख्यक मुस्लिमो के प्रति घृणित भाव बढ़ रहा है। इनके मसलिया ने कहा कि “श्रीलंका के रथमलयाया गाँव के पड़ोस के क्लिनिक में पिछले पांच वर्षों से जा रही है और हमेशा काल अबाया ही पहनती है। वह ईस्टर हमले के तीन हफ्ते बाद दोबारा उस क्लिनिक में गयी तो उन्हें बदलाव महसूस हुआ था।

    इस्लामिक स्टेट के चरमपंथियों द्वारा अंजाम दिए इस भयावह हमले में 250 से अधिक लोगो की मौत हुई थी। 36 वर्षीय मसलिया ने कहा कि “वह अपनी पांच साल की बेटी के साथ लाइन में लगी थी तभी एक नर्स ने उन्हें अबाया उतारने के लिए कहा था। नर्स ने कहा कि क्या अब तुम अपने बम से हमें उड़ा दोगी।”

    मुस्लिम समूहों ने कहा कि “समस्त श्रीलंका से उन्हें दर्ज़नो शिकायते मिली है कि कार्य स्थलों पर मुस्लिम समुदाय के लोगो का उत्पीड़न किया जा रहा है। इसमें सरकारी दफ्तर, अस्पताल और सार्वजनिक परिवहन शामिल है। सरकार ने इस हमले का आरोपी दो स्थानीय समूहों को माना है।

    नेगोम्बो के शहर में कई पाकिस्तानी शरणार्थियों ने कहा कि “स्थानीय लोगो की बदले की भावना से डरकर वह भाग गए थे।” अब मुस्लिमों के खिलाफ गुस्सा बढ़ता जा रहा है। ट्रैफिक विवाद के कारण स्थानीय ईसाई और मुस्लिम समुदाय के बीच हिंसक संघर्ष हो गया था।

    एडवोकेसी ग्रुप के जेहन परेरा ने कहा कि “मुस्लिमों के प्रति संदिग्धता बढ़ती जाएगी और उन पर स्थानीय लोगो द्वारा हमला भी हो सकता है। वह खतरे में होंगे।” चेहरे ढंकने वाले कपड़ो पर पाबंदी और समस्त देश में मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में सुरक्षा बलों की तफ्तीश से अविश्वास बढ़ा है।

    सरकार ने कहा कि “वह समुदाय के बीच तानवो से वाकिफ है और हालातों पर करीबी से निगाह बनायीं हुई है। श्रीलंका के डायरेक्टर जनरल नलका कलुवेवा ने कहा कि “सरकार सभी धार्मिक व समुदायों के नेताओं से निरंतर बातचीत कर रही है। सांप्रदायिक तनावों से बचने के लिए समक्ष देश में सुरक्षा व्यवस्था को बढ़ा दिया गया है।”

    बौद्ध कट्टरपंथी

    बौद्ध बहुल श्रीलंका की 2.2 करोड़ जनता में 10 फीसदी मुस्लिम समुदाय है। मुल्क एक दशक से गृह युद्ध से जूझ रहा था। सरकार ने 10 साल बाद विरोधियों के साथ समझौता किया था। हालिया वर्षों में बौद्ध कट्टरपंथियों की अध्यक्ष्ता बोदु बाला सेना कर रही है। उनके मुताबिक, मध्य पूर्व से प्रभाव के कारण श्रीलंका के मुस्लिम अधिक रूढ़िवादी और अलग थलग हो जायेंगे।

    बीते वर्ष बौद्ध भीड़ ने कैंडी जिला में तीन दिनो तक मुस्लिमों के मस्जिदों,घरो और कारोबार को तबाह कर दिया था। यह पहले विविधता और बर्दाश्त के लिए जाना जाता था। बीबीएस के चीफ एग्जीक्यूटिव ने बताया कि “श्रीलंका की सफल सरकार इस्लामिक चरमपंथ के प्रभाव का पता लगाने में असफल रही है। यह तमिल अलगाववादियों से भी बड़ा खतरा है।”

    श्रीलंका का पूर्वी शहर बट्टिकलोआ में अधिकतर मुस्लिम और हिन्दू रहते हैं, उनके पड़ोसी शहर से एक हमलावर ने चर्च पर हमला किया था। तमिल समूह ने मुस्लिम कारोबार का बहिष्कार करने की मांग की थी। ईस्टर हमले का साजिशकर्ता ज़हरान हासमी और चर्च पर हमला करने वाले हमलावर दोनों मुस्लिम बहुल शहर कट्टनकुड़ी से है।

    तमिल युथ ने कहा कि “अगर तुम्हारे पास जरा भी इज्जत है तो मुस्लिम दुकानों से सामान नहीं खरीदना।” इस समूह के दो सदस्यों ने बताया कि इस हमले में उनके रिश्तेदारों की भी मौत हुई है। कट्टनकुड़ी के लोगो से सालो से नाराजगी जारी है।

    उन्होंने कहा कि “वे हमारे प्रति हमेशा शत्रुतापूर्ण रहे हैं। वह हमारे स्थानों से नहीं खाते हैं। जब वे ऐसा कर सकते हैं तो हम भी कर सकते हैं।” मुसिलम समुदाय के मुताबिक उन्होंने विभागों को निरंतर ज़हरान के बाबत आगाह किया था। सरकार को बमबारी के बारे में मालूम था लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गयी है। वे बेकसूर लोगो को निशाना बना रहे हैं यह सही नहीं है।”

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *