श्रीलंका में राजनीतिक संकट के बादल छटने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। राष्ट्रपति मैत्रिपाला सिरिसेना ने शुक्रवार को संसद को भंग कर देश में आम चुनाव की घोषणा कर दी ह। सूचना के मुताबिक आम चुनाव 5 जनवरी को तय किये गए हैं और संसद की अगली बैठक 17 जनवरी को होगी।
हाल में राष्ट्रपति मैत्रिपाला सिरिसेना ने रानिल विक्रमसिंघे की पार्टी से गठबंधन तोड़कर, पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे की पार्टी का दामन थाम लिया था। राष्ट्रपति ने रानिल विक्रमसिंघे को पद से बर्खास्त कर दिया था और पूर्व राष्ट्रपति राजपक्षे को प्रधानमन्त्री की गद्दी सौंप दी थी। महिंदा राजपक्षे को 14 नवम्बर को संसद में फ्लोर टेस्ट में बहुमत साबित करना था।
सूत्रों के मुताबिक संसद को भंग का निर्णय मैत्रिपाला सिरिसेना ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मुआलाकत करने के बाद शुक्रवार शाम 6 बजे लिया गया था। रानिल विक्रमसिंघे की पार्टी यूएनपी ने कहा कि हम संसदको भंग करने का निर्णय से सहमत नहीं है, उन्होंने जनता से उनके अधिकारों को छिना है। सूत्रों के मुताबिक संसद को भंग करना असंवैधानिक है।
वरिष्ठ राजनीति समीक्षक कुसल परेरा ने कहा कि हालिया तस्वीर आम चुनाव को प्रभावित करेगी। महिंदा राजपक्षे के प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने सोचा कि आराम से बहुमत साबित कर लिया जायेगा लेकिन उनकी गणना गलत साबित हो गयी है। राष्ट्रपति ने कहा था कि 14 नवम्बर से संसद की बैठक शुरू की जाएगी।
श्रीलंका के जानकारों ने बताया कि रानिल विक्रमसिंघे की पार्टी राष्ट्रपति के इस असंवैधानिक निर्णय को चुनौती दे सकती है। उन्होंने कहा कि इस राजनीतिक रस्साकस्सी को खत्म करने के दो ही तरीके है, या तो कानूनी कार्रवाई और देश में आम चुनाव कराना।
श्रीलंका में राजनीतिक समीकरण बिगड़ते जा रहे हैं, 5 जनवरी के आम चुनावों में मतदाता ही इस प्रधानमंत्री कौन के पशोपेश को समाप्त करेगी।