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    श्रीलंका की में नई कैबिनेट का निर्माण

    श्रीलंका में सात हफ़्तों के राजनीतिक संघर्ष के बाद आखिरकार राष्ट्रपति ने कैबिनेट के 30 नए सदस्यों का नाम का खुलासा कर दिया है। साथ ही सत्ता के लिए संघर्ष कर रहे प्रधानमन्त्री रानिल विक्रमसिंघे को भी उनका पद मिल चुका है। हालांकि देश की पुलिस पर नियंत्रण को लेकर अभी मत्थापच्ची जारी है।

    बीते रविवार को राष्ट्रपति सिरिसेना ने बर्खास्त प्रधानमन्त्री रानिल विक्रमसिंघे को उनका पद सौंप दिया था। शीर्ष अदालत ने राष्ट्रपति के संसद भंग करने के निर्णय की आलोचना की थी।

    सरकार के प्रवक्ता रजिथा सनारत्ने ने कहा कि मौजूदा कैबिनेट के निर्माण में राष्ट्रपति की जिद के कारण देरी हो रही है, क्योंकि वह पोलिस और मीडिया को अपने नियंत्रण में चाहते हैं। मीडिया मंत्रालय को उन्होंने स्वीकार किया है, लेकिन वह पुलिस पर भी अपना नियंत्रण चाहते हैं। नई कैबिनेट में अभी तक नियम और कानून मंत्री के नाम की घोषणा नहीं की है, रक्षा मंत्री के नियुक्त रहे राष्ट्रपति पुलिस को अपने हक़ में चाहते हैं।

    विदेश मंत्रालय और विदेश मंत्रालय का कार्यभार रानिल विक्रमसिंघे की सरकार के समक्ष ही रहेगा। मंगलवार समारावीरा को वित्त मंत्री और तिलक मरपना विदेश मंत्री के तौर पर नियुक्त होंगे। रविवार को रानिल विक्रमसिंघे को दबारा पद सौंपकर राष्ट्रपति ने स्पष्ट किया कि उनका दोबारा विक्रमसिंघे के साथ कार्य करना चुनौतीपूर्ण होगा।

    राष्ट्रपति सिरिसेना ने कहा था कि “मुझे अभी यकीन है कि मुझे विक्रमसिंघे को प्रधानमन्त्री नहीं बनान चाहिए था, लेकिन मैं सदन में बहुमत की इच्छा के आगे विफल था।” उन्होंने कहा कि लेकिन पता नहीं, कब तक मैं लोगों की इच्छाओं की पूर्ती करने में सफल हो सकूँगा।

    राष्ट्रपति सिरिसेना साल 2015 में रानिल विक्रमसिंघे की यूनाइटेड नेशनल पार्टी का दामन थामकर सत्ता पर आसीन हुए थे। लेकिन निजी और राजनीतिक मतभेदों के कारण अक्टूबर में दोनों ने गठबंधन तपड दिया था। रानिल ने पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को प्रधानमन्त्री पद सौंपने से इनकार कर दिया था।

    श्रीलंका की संसद ने रानिल विक्रमसिंघे का समर्थन किया और कहा कि उनको पद से हटाना गैर कानूनी था। संसद के इस उतार चढ़ाव भरे दौर में संसद में छह बार राजपक्षे के खिलाफ मतदान हुआ था।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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