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    श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रिपाला सिरिसेना

    श्रीलंका में राजनीतिक संकट बरकार है लेकिन रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रपति मैत्रिपाला सिरिसेना सोमवार को देश के नए प्रधानमन्त्री का चयन करेंगे, श्रीलंका के लिए यह एक राहत की खबर है। इस खबर की पुष्टि करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि वह सोमवार को नया पीएम चुनेंगे लेकिन वह रानिल विक्रमसिंघे को दोबारा प्रधानमंत्री की कुर्सी पर स्वीकार नहीं करेंगे।

    अदालत के इस निर्णय के बाद राष्ट्रपति के नेतृत्व में रात को यूनाइटेड पीपल फ्रंट अलायन्स की बैठक हुई थी। ख़बरों के मुताबिक इस बैठक में विवादित प्रधानमन्त्री महिंदा राजपक्षे भी शामिल हुए थे। राष्ट्रपति सिरिसेना ने बैठक में कहा कि वह अदालत के आदेश का पालन करेंगे लेकिन रानिल विक्रमसिंघे के साथ कभी सत्ता साझा नहीं करेंगे।

    विषय-सूचि

    अदालत ने संसद भंग करना बताया असंवैधानिक निर्णय

    गुरुवार को श्रीलंका की शीर्ष अदालत ने राष्ट्रपति के संसद भंग करने के निर्णय को असंवैधानिक करार दिया। राष्ट्रपति के इस विवादित फैसले से राष्ट्र को संवैधानिक संकट से जूझना पड़ा था। शीर्ष अदालत की सात सदस्य पीठ ने कहा कि जब तक संसद साढ़े चार साल पूर्ण न कर दें, राष्ट्रपति सदन को भंग नहीं कर सकते हैं। राष्ट्रपति ने सदन को भंग कर 5 जनवरी को दोबारा चुनाव का ऐलान किया था।

    संसद में विक्रमसिंघे के पास है बहुमत

    सत्ता से बर्खास्त किये गए रानिल विक्रमसिंघे ने बुधवार को सदन में अपने बहुमत को साबित कर दिया है। सदन में 225 सांसदों में से 117 ने रानिल विक्रमसिंघे के लिए विशवास प्रस्ताव का समर्थन किया था। हाल ही में श्रीलंका के संजातीय तमिलों के सांसदों ने भी रानिल विक्रमसिंघे को समर्थन दिया था।

    राष्ट्रपति को हिटलर की उपाधि

    रानिल विक्रमसिंघे ने राष्ट्रपति को कहा कि हिटलर या अन्य तानाशाहों की तरह व्यवहार न करें। पूर्व प्रधानमन्त्री ने कहा कि संसदीय बहुमत यह निर्णय लेता है कि प्रधानमंत्री कों बनेगा, राष्ट्रपति नहीं कह सकता है कि वह क्या चाहता है। उन्होंने कहा कि सभी को संविधान का पालन करना होगा।

    26 अक्टूबर को राष्ट्रपति मैत्रिपाला सिरिसेना ने नाटकीय अंदाज़ में रानिल विक्रमसिंघे को पद से बर्खास्त कर दिया था और पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को सत्ता की कमान सौंप दी थी। श्रीलंका की शीर्ष अदालत ने गुरूवार को राष्ट्रपति के संसद को भंग करने के निर्णय को असंवैधानिक बताया था।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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