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    Share market Crash hits too many in India.Share market Crash hits too many in India. (Image Source- Google Images/Aaj Tak)

    Share Market Crash in India: दो साल पहले, अपने बैंक सलाहकार के सुझाव पर, विकास सिंह  ने अपने पिताजी के सरकारी नौकरी से रिटायरमेंट के बाद मिले पैसों को म्यूचुअल फंड, शेयर बाजार और बॉन्ड में निवेश कर दिया था।

    बिहार के रहने वाले इंजीनियर श्री सिंह  तब भारत के शेयर बाजार (Share Market) में उछाल के साथ सार्वजनिक रूप से कारोबार करने वाली कंपनियों में निवेश करने वाले लाखों लोगों में शामिल हो गए। परन्तु पिछले छः महीने में भारतीय स्टॉक मार्किट में लगातार गिरावट के कारण बकौल विकास सिंह, लगभग १ करोड़ 65 लाख का नुकसान हो चुका है।

    श्री विकास सिंह कहते हैं, “पिछले छह महीने से ज़्यादा समय से मेरे निवेश घाटे में हैं। पिछले एक दशक में शेयर बाज़ार में निवेश करने का यह मेरा सबसे बुरा अनुभव रहा है।”

    45 वर्षीय श्री सिंह अब बैंक में बहुत कम पैसे रखते हैं, उन्होंने अपनी ज़्यादातर बचत शेयर बाज़ार में लगा दी है। जुलाई में अपने बेटे की निजी मेडिकल कॉलेज की फ़ीस चुकाने के लिए उन्हें अपने निवेश को घाटे में बेचने की चिंता है। वे कहते हैं, “एक बार बाज़ार में सुधार हो जाए, तो मैं कुछ पैसे बैंक में वापस रखने के बारे में सोच रहा हूँ।”

    यह दास्तान किसी एक विकास सिंह की नहीं है, बल्कि लगभग उन सभी छोटे या माध्यम निवेशकों की है जो अपनी जमा पूंजी को शेयर बाजार में निवेश किये। दरअसल छह साल पहले तक, 14 में से केवल एक भारतीय परिवार ने अपनी बचत शेयर बाजार में लगाई थी। बीते कुछ सालों में अब यह संख्या घटकर हर पाँच भारतीय परिवार में से एक परिवार है।

    पहले तो ठीक-ठाक कमाई हुई; परन्तु पिछले कुछ महीने अच्छे नहीं गए है और लाखों -करोड़ो का नुकसान उठा रहे हैं। अक्टूबर 2024 से BSE सेंसेक्स में 13% की गिरावट आई है; मिड और स्मॉल-कैप इंडेक्स में क्रमशः 22% और 25% की गिरावट आई है।

    शेयर-बाजार में लगातार मंदी का दौर

    NIFTI goes down.
    Image Source: Google (Screenshot.)

    बीते साल के दूसरी तिमाही तक तो सब अच्छा चल रहा था। 2024 में हुए आम चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और उनकी पार्टी पर निवेशकों को भ्रमित कर के अधिकाधिक निवेश करवाने का आरोप भी लगा। लेकिन अब स्थिति बदल गई है।

    निफ्टी 50 बेंचमार्क में सितंबर में अपने उच्चतम वैल्यू से लगभग 16% की गिरावट आई है, जो आज (12 मार्च) 22 ,470 पर है। यह 2008-09 में महामंदी के बाद से एक महत्वपूर्ण ऊंचाई से छठी सबसे बड़ी गिरावट है, और मार्च 2020 में कोविड के बाद से दूसरी सबसे बड़ी गिरावट है।

    फरवरी में गिरावट का सिलसिला जारी रहा और अब मार्च में भी यही स्थिति है। यह गिरावट लगातार पांच-छः महीनों तक जारी है, जो नवंबर 1996 में देखी गिरावट की याद दिलाता है।

    सितंबर से अब तक निवेशकों के 900 बिलियन डॉलर के मूल्य को मिटा दिया है। हालांकि गिरावट अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड-ट्रम्प की टैरिफ घोषणाओं से पहले शुरू हुई थी, लेकिन अब वे और भी बड़ी बाधा बन गए हैं क्योंकि अधिक विवरण सामने आ रहे हैं।

    भारत का बेंचमार्क निफ्टी 50 शेयर इंडेक्स, जो देश की शीर्ष 50 सार्वजनिक रूप से कारोबार करने वाली कंपनियों को ट्रैक करता है, 29 वर्षों में अपनी सबसे लंबी गिरावट के दौर से गुजर रहा है, जो लगातार पांच महीनों से गिर रहा है।

    यह दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते बाजारों में से एक में महत्वपूर्ण गिरावट है। स्टॉक ब्रोकर रिपोर्ट कर रहे हैं कि उनकी गतिविधि में एक तिहाई की गिरावट आई है।

    SIP निवेश में भरी गिरावट से पड़ रहा असर

    निवेश का सबसे अच्छा तरीका सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) है, जिसमें हर महीने तय राशि जमा करते हैं। SIP के ज़रिए निवेश करने वाले भारतीयों की संख्या 100 मिलियन से ज़्यादा हो गई है, जो पाँच साल पहले 34 मिलियन से लगभग तीन गुना ज़्यादा है।

    एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स ऑफ इंडिया (एम्फी-AMFI) के अनुसार, प्रबंधन के तहत कुल SIP परिसंपत्तियां (Assets) दिसंबर में ₹13.6 ट्रिलियन से घटकर जनवरी में ₹13.2 ट्रिलियन रह गईं।

    कई निवेशक अपने पोर्टफोलियो का पुनर्गठन कर रहे हैं, छोटे SIP को बड़े में समेकित कर रहे हैं, या अलग-अलग निवेश मोड (Investment mode ) में जा रहे हैं। म्यूचुअल-फंड वितरक भी नियमित रूप से क्लाइंट SIP को पुनर्संतुलित करते हैं, जिससे भारतीय शेयर बाजार के इस उथल-पुथल में योगदान होता है।

    शेयर बाजार के उठा-पटक के पीछे आखिर क्या हैं वजहें ?

    Trump's Tariff war can affect Indian Economy
    ट्रंप के कदम डॉलर को और मजबूत कर सकते हैं। अगर वह दूसरे देशों पर टैरिफ लगाकर डॉलर को मजबूत करते रहेंगे, तो यह और भी दर्दनाक मंदी बन जाएगी। (Image Source: Google Images/NDTV)

    पिछले छह महीनों में भारत के बाजारों में गिरावट आई है। इसके कई वजहें हो सकती हैं जैसे- विदेशी निवेशक (FII) भारतीय बाज़ार से बाहर जा रहे हैं; मुद्रास्फीति उच्च (High Inflation) बना हुआ है; लोगो की आय कम हुई है और वैश्विक पूंजी चीन में स्थानांतरित हो गई है।

    भारत का शेयर बाजार चक्रीय मंदी (Cyclic Slow Down) से गुजर रहा है, लेकिन वैश्विक कारक (Global Factors), विशेष रूप से ट्रम्प की आर्थिक नीतियां, इसे और अधिक दर्दनाक मंदी में बदल सकती हैं।

    भारतीय शेयर बाजार ने भारत में तीन बहुत अच्छे साल देखे हैं। कोविड के बाद, FY22, FY23 और FY24 शानदार साल रहे। अगर आप भारत के इतिहास को देखें, तो बाजार का लगातार चार साल तक सही चलना बहुत दुर्लभ है।

    आमतौर पर, चौथे साल तक, यह (भारतीय शेयर बाजार) एक चक्रीय मंदी का अनुभव करता है क्योंकि हमारे आपूर्ति-पक्ष  कारक (Supply Side Factors) – श्रम बाजार (Labour Market), पूंजी बाजार (Capital Market) और भूमि बाजार (Land & Real Estate) – चार सीधे वर्षों तक तेजी से विकास को बनाए रखने की क्षमता नहीं रखते हैं।

    फिर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की नीतियां और भारतीय बाजार से विदेशी निवेशकों (Foreign Investors) द्वारा पैसा खींच लेने के कारण परिस्थितियां और भी बदतर हो गयी हैं।

    बैंकों के पास अभी अतिरिक्त फंड नहीं है। जमा वृद्धि धीमी है; परिणामस्वरूप ऋण वृद्धि भी धीमी हो गई है। यह आपूर्ति पक्ष की कमजोरी का एक क्लासिक संकेत है। लोगों ने अपने बचत खातों से पैसा निकालकर शेयर बाजार में डाल दिया, जिससे शेयरों में उछाल आया, लेकिन बैंकिंग प्रणाली में तरलता (Liquidity) कम हो गई है।

    आम तौर पर जब डॉलर मजबूत होता है, तो RBI को सिस्टम से रुपए निकालकर तरलता (Liquidity) को कम करना पड़ता है। आदर्श रूप से, जब अर्थव्यवस्था कमजोर होती है, तो RBI को ब्याज दरों में कटौती करनी चाहिए; लेकिन रुपए की रक्षा के लिए, उसे ब्याज दरें बढ़ानी पड़ती हैं। यह भारतीय शेयर बाजार और उसके हितधारकों के लिए स्थिति को और गंभीर बनता है।

    इसलिए संतुलित दृष्टिकोण की आवश्यकता है – न केवल बाजार के हितधारकों से बल्कि सरकार से भी। हाल के दिनों में यह गिरावट भारतीय अर्थव्यवस्था को सबसे अधिक प्रभावित कर रहा है। डर यह है कि ट्रंप के कदम डॉलर को और मजबूत कर सकते हैं। अगर वह दूसरे देशों पर टैरिफ लगाकर डॉलर को मजबूत करते रहेंगे, तो यह और भी दर्दनाक मंदी बन जाएगी।

    By Saurav Sangam

    | For me, Writing is a Passion more than the Profession! | | Crazy Traveler; It Gives me a chance to interact New People, New Ideas, New Culture, New Experience and New Memories! ||सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल ज़िंदगानी फिर कहाँ; | ||ज़िंदगी गर कुछ रही तो ये जवानी फिर कहाँ !||

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