राष्ट्रपति शी जिनपिंग की साप्ताहिक यात्रा के दौरान चीन नेपाल में एक सुरक्षित नेट प्रोवाइडर मुहैया बनकर उभारना चाहते हैं ताकि संप्रभुता की सुरक्षा को आश्वस्त किया जा सके। यह पहला मौका है जब शी जिनपिंग ने सार्वजानिक स्तर पर किसी दूसरे देश की संप्रभुता की रक्षा के लिए सार्वजानिक स्तर पर आश्वस्त किया है।
शी ने काठमांडू में कहा कि “चीन हमेशा नेपाल का राष्ट्रीय आजादी, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए समर्थन करता रहेगा।” चीन के इस कदम को भारत को रिप्लेस करने के तौर पर देखा जा रहा है। हिमालय राज्य ने शी जिनपिंग की यात्रा के दौरान रक्षा और प्रत्यर्पण संधि पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया था।
सुरक्षा साझेदारी को मज़बूत करने का चीन का एक गंभीर कदम है हालाँकि जिनपिंग ने अपने इरादों को स्पष्ट कर दिया है। इस यात्रा के दौरान 18 समझौतों पर दस्तखत किये गए थे। चीनी राष्ट्रपति ने इस अवसर का इस्तेमाल तिब्बत और हांगकांग के प्रदर्शनकारियों को सख्त सन्देश देने के लिए किया है।
चीन पर वित्तीय निर्भरता बढ़ने के बावजूद नेपाल के सुरक्षा विभाग ने भारत की सेना के साथ दशको से करीबी संबंधो को कायम रखा है और वह अभी चीन के साथ संबंधो को गहरा करने के लिए इच्छुक है। चीन ने नेपाल के विभिन्न महत्वपूर्ण इलाको में सहयोग में विस्तार किया है।
नेशनल डिफेन्स यूनिवर्सिटी की स्थापना या निर्माण में चीन के शामिल होने के प्रति सावधान रहता है। नेपाल की सेना के मुताबिक, संस्थान देश का गर्व होता है और इसका निर्माण किसी दुसरे देश की संस्था की बजाय खुद निर्माण किया जाना चाहिए।