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    चीनी और जापानी सम्बन्ध

    जापान और चीन शुक्रवार को चीनी राष्ट्रपति की पूर्वनियोजित यात्रा से पूर्व सम्बन्धो को बढ़ाने के बाबत रज़ामंद हो गए हैं। साल 2013 में सकता में आने के बाद चीनी राष्ट्रपति जून में जापान की पहली यात्रा करेंगे। चीन के कूटनीतिज्ञ यांग जिएची ने प्रधानमंत्री शिंजो आबे को कहा कि दोनों पक्षों के संबंधों को मज़बूत करने के लिए यह समय बिल्कुल उपयुक्त है।

    उन्होंने कहा कि “यह वर्ष दोनों देशों की तरफ से ताजा शुरुआत करने के लिए जाना जायेगा। चीन में कम्युनिस्ट शासन की 70 वीं वर्षगांठ और जापान में नए शासक नारुहितो के करियर की शुरुआत है। नारुहितों को 1 मई को ताज पहना गया था। यह जापान-चीन उभरते संबंधों को एक नयी गति प्रदान करेगा।”

    उन्होंने कहा कि “मुझे विश्वास है कि हमारे समबन्ध न सिर्फ पटरी पर वापस आएंगे बल्कि स्वस्थ और स्थिर तरीके से विकसित होना जारी रखेंगे।” एशिया के दो दिग्गजों के बीच छोटे द्वीपों के मालिकाना हक़ और पूर्वी चीनी सागर में भंडार को लेकर मतभेद बरक़रार है। इसके साथ हो दोनों के बीच युद्ध का इतिहास भी है, लेकिन दोनों के सम्बन्ध हालिया वर्षों में काफी सुधरे हैं।

    अबे और यांग 28-29 जून को ओसाका में आयोजित जी 20 के सम्मेलन में शी जिनपिंग की यात्रा की तैयारियों के लिए सहमत हुए हैं। इस समारोह में सभी नेताओं की बातचीत होगी। यांग ने जापानी सरकार के विदेश मंत्री से भी मुलाकात की थी।

    जी-20 के सम्मेलन में शिंज़ो आबे अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से भी मुलाकात करेंगे। आबे ने कहा कि “शी जिनपिंग की जापान यात्रा दोनों देशों के संबंधों के लिए उत्प्रेरक होगी। मुझे उम्मीद है कि आगे भी जापान-चीन संबंधों को हम विकसित कर पाएंगे। दोनों देशों के बीच सामान्य स्तर पर वापस लौटने से रिश्तो के एक नए युग की शुरुआत होगी।”

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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