दिल्ली की एक अदालत ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को कांग्रेस नेता शीला दीक्षित के पूर्व सहयोगी द्वारा दायर आपराधिक मानहानि के मामले में बरी कर दिया और कहा कि शिकायतकर्ता को पीड़ित व्यक्ति नहीं कहा जा सकता है।
अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल ने अक्टूबर 2012 में बिजली के टैरिफ में विरोध प्रदर्शन के दौरान एक टीवी शो में केरीवाल द्वारा दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित पर किए गए टिप्पणियों के खिलाफ दीक्षित के राजनीतिक सचिव पवन खेरा द्वारा दर्ज मामले में केजरीवाल को राहत दी।
खेरा ने आरोप लगाया था कि केजरीवाल ने दीक्षित के खिलाफ झूठे आरोप लगाए हैं और उन्हें बदनाम करने की कोशिश की है। चूँकि खेरा शेला दीक्षित से जुड़े थे तो उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा।
कोर्ट ने कहा कि केजरीवाल ने खेरा का नाम नहीं लिया था जिसके कारण खेरा की कोई बदनामी नहीं हुई।
कोर्ट ने कहा कि ‘शिकायतकर्ता इस मामले में पीड़ित व्यक्ति नहीं है क्योंकि आरोपी ने कहीं भी शिकायतकर्ता का जिक्र नहीं किया है। इसलिए कोर्ट इस मानहानि के दावे को स्वीकार नहीं कर सकता।’
अदालत में केजरीवाल के खिलाफ अक्टूबर 2018 में भारतीय दंड संहिता की धारा 500 (मानहानि) के तहत आरोप लगाए गए थे। दोषी साबित होने पर राजनीतिज्ञों को कम से कम 2 साल की जेल हो सकती है।
इस केस में खेरा ने कहा था कि केजरीवाल ने उनकी छवि धूमिल करने की कोशिश की है।
केजरीवाल की तरफ से वकील मोहम्मद इरशाद ने कोर्ट में कहा कि खेरा कांग्रेस के सदस्य नहीं थे और उन्होंने शीला दीक्षित के साथ अपने रिश्तों का भी कोई जिक्र नहीं किया था। उन्होंने कोर्ट में सबूत जमा किये जिससे ये साबित हो कि केजरीवाल ने खेरा के खिलाफ कुछ नहीं कहा था।