केंद्र सरकार ने गुरुवार को लोकसभा में दिवाला और दिवालियापन संहिता (दूसरा संशोधन) विधेयक 2019 पेश किया। इस विधेयक पर विपक्ष ने तीखी आपत्ति जताई और इसे स्थायी समिति को भेजने का अनुरोध किया। इस विधेयक में वित्तीय तौर पर संकटग्रस्त क्षेत्रों में निवेश को बढ़ावा देने और अड़चनों को दूर करने के लिए वित्त पोषण सुरक्षा के उद्देश्य से कॉर्पोरेट इन्सॉल्वेंसी रिजोल्यूशन प्रोसेस (सीआईआरपी) को कारगर बनाने का प्रावधान है। विधेयक केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किया गया।
कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी और तृणमूल कांग्रेस के सांसद सौगत राय सहित विपक्षी दलों ने इस विधेयक का विरोध किया। इन नेताओं ने विधेयक की जरूरतों के बारे में सवाल उठाते हुए कहा कि इसी तरह का विधेयक मानसून सत्र में पारित किया जा चुका है।
उन्होंने निर्धारित मानदंडों के अनुसार, विधेयक का अध्ययन करने के लिए विपक्ष को पर्याप्त समय न देने पर सरकार की आलोचना की। विपक्षी नेताओं ने कहा कि इस संबंध में लोकसभा अध्यक्ष की अनुमति भी नहीं ली गई।
कांग्रेस नेता चौधरी ने कहा, “मैं दिवाला और दिवालियापन संहिता (दूसरा संशोधन) विधेयक, 2019 का विरोध करता हूं। कुछ दिन पहले सदन ने दिवालिया और दिवालियापन संहिता के तहत एक और संशोधन पारित किया था। एक के बाद एक संशोधन सरकार द्वारा लाया गया और पारित किया गया है। यह बस सरकार की एक विसंगति है।”
उन्होंने कहा, “जहां तक कानूनी परिप्रेक्ष्य का सवाल है, कोई भी विधेयक व्यापारिक सूची में पेश करने के लिए तब तक शामिल नहीं किया जा सकता, जब तक कि विधेयक की प्रतियां प्रस्तावित होने वाले दिन से कम से कम दो दिन पहले सांसदों के उपयोग के लिए उपलब्ध न हों। विधेयक कल ही प्रस्तुत किया गया और अब वे इसे शीघ्रता से पारित करना चाहते हैं।”
कांग्रेस नेता ने कहा, “मैं विधेयक को स्थायी समिति में भेजने का अनुरोध करता हूं।”
इसके अलावा तृणमूल कांग्रेस सांसद ने इस विधेयक को वापस लेने का अनुरोध किया।
निर्मला ने कहा कि एक संशोधन विधेयक जुलाई में लाया गया था और दूसरा संशोधन विधेयक अब लाया जा रहा है, क्योंकि घर खरीदारों के मन में कुछ संदेह है।
उन्होंने कहा कि विपक्षी सदस्यों को उद्योग जगत की उपेक्षा और उस पर कटाक्ष करने से बचना चाहिए, क्योंकि वे रोजगार पैदा करने से बचें। वे कानून के अनुसार काम करते हैं।
विधेयक को बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दी थी।