शिमला, 28 अप्रैल (आईएएनएस)| हिमाचल प्रदेश की शिमला (आरक्षित) संसदीय सीट पर लड़ाई पूर्व सैनिक बनाम पूर्व सैनिक है। दोनों अपनी-अपनी बंदूकों से एक-दूसरे पर राजनीतिक गोले दाग रहे हैं।
एक भारतीय सेना का सेवानिवृत्त कर्नल है, जबकि दूसरा भारतीय वायुसेना का पूर्व वरिष्ठ नान-कमीशंड अधिकारी है।
कर्नल धनीराम शांडिल (78) कांग्रेस के उम्मीदवार हैं। जबकि नान-कमीशंड अधिकारी सुरेश कश्यप (48) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार हैं। दोनों अनुसूचित जाति वर्ग के कोली समुदाय से हैं।
शांडिल शिमला से दो बार के सांसद रह चुके हैं, जबकि कश्यप पहली बार संसदीय चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। दोनों मौजूदा विधायक हैं और दोनों के ऊपर कोई आपराधिक मामला नहीं है।
एक राजनीतिक पर्यवेक्षक ने कहा कि दिलचस्प बात यह है कि कश्यप और शांडिल दोनों शायद ही एक-दूसरे पर व्यक्तिगत हमले करते हैं। दोनों अवसंरचना और पर्यटन विकास तथा देश की सुरक्षा एजेंडे पर अधिक बातें करते हैं।
कश्यप ने रविवार को आईएएनएस से कहा, “मैं एक फौजी (सैनिक) हूं और वह भी एक फौजी हैं। लेकिन हम दोनों के बीच मतभेद हैं। वह एक पार्टी से हैं, जो भारत की सर्जिकल स्ट्राइक और हवाई हमलों पर सवाल उठाती है।”
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने हमले के सबूतों पर भी सवाल उठाए थे और वह देश की सुरक्षा के साथ समझौता कर रही थी।
वहीं शांडिल ने कहा, “यह कांग्रेस नहीं, बल्कि भाजपा है जो हवाई हमले का राजनीतिकरण कर रही है और इससे राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश कर रही है।”
शांडिल ने आईएएनएस से कहा, “मैं अपने पिछले प्रदर्शन के आधार पर इस सीट से दो बार के भाजपा सांसद के कार्यकालों के आधार पर लोगों से वोट मांग रहा हूं।”
अंग्रेजी, सार्वजनिक प्रशासन और पर्यटन प्रबंधन में स्नातकोत्तर कश्यप ने कहा कि पूर्व सैनिक शांडिल को सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम (आफ्सपा) और देशद्रोह कानून को खत्म करने पर अपना रुख स्पष्ट करना होगा। जिसका जिक्र कांग्रेस के घोषणा-पत्र में किया गया है।
पिछली वीरभद्र सिंह के नेतृत्व वाली राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे और राजनीति विज्ञान में डॉक्टरेट शांडिल ने पूर्व दूरसंचार मंत्री सुखराम की पार्टी हिमाचल विकास कांग्रेस के साथ अपने राजनीतिक करियर की शुरुआ की थी। सुखराम अब कांग्रेस में वापस लौट आए हैं।
शांडिल शिमला से दो लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं। एक बार 1999 में हिमाचल विकास कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में और बाद में 2004 में कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में।