संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एन्टोनियो गुएटरेस ने चीनी नेताओं के साथ बातचीत के दौरान शिनजियांग के संजातीय उइगर मुस्लिमो के मुद्दे को उठाया और जोर देते हुए कहा कि चीन को पूरी तरह मानवीय अधिकारों का सम्मान करना होगा। महासचिव ने बीजिंग की यात्रा के दौरान यह मसला उठाया था। उन्होंने चीन के बीआरआई समारोह में शामिल होने के बाद राष्ट्रपति शी जिनपिंग से बातचीत की थी।
यूएन महासचिव ने तीन बिंदुओं का सन्देश दिए और चरमपंथ के खिलाफ लड़ते हुए मानवधिकार का सम्मान करने पर जोर दिया है। यूएन के प्रवक्ता स्टेफेन दुजाररिक ने पत्रकारों से कहा कि “आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष में और हिंसक चरमपंथ से बचाव में मानवधिकार का पूरी तरह सम्मान किया जाना चाहिए।”
बीते वर्ष विश्लेषकों के समूह ने बताया कि “सभी समुदायों को अपनी पहचान के सम्मान की अनुभूति होनी चाहिए और वह सभी की तरह राष्ट्र से जुड़ा होना चाहिए। 10 लाख से अधिक उइगर मुस्लिमों और अन्य मुस्लिम अल्पसंख्यकों को शिनजियांग के नज़रबंद शिविरों में रखा गया है।”
बीजिंग के मुताबिक, यह शिविर व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र हैं ताकि लोगो को चरमपंथ और दोबारा एकीकरण से दूर रखा जा सके। क्षेत्र में हिसंक के कारण का जिम्मेदार उइगर अलगाववादी या इस्लमिको को समझा जाता है।
इस यात्रा के दौरान यूएन के महासचिव ने ब्रिटेन, अमेरिका, गेमनी, नीदरलैंड, कनाडा,, ऑस्ट्रेलिया और तुर्की के स्थायी यूएन के राजदूतों से मुलाकात की थी और उन्होंने बैठक के दौरान शिनजियांग के हालातो के मामले को उठाने का आग्रह किया था। महासचिव का चीन के साथ इस अति संवेदनशील मामले पर चर्चा करना एक कूटनीतिक चुनौती थी। यूएन का दूसरा सबसे बड़ा वित्तीय सहायक चीन है और सुरक्षा परिषद् में एक वीटो प्राप्त सदस्य है।
यूएन मानव अधिकार उच्चायुक्त मिशेल बचेलेट ने पिछले माह शिकायत की थी कि चीन को अभी भी हरी झंडी दिखाना बाकी है। महासचिव ने चीनी नेताओं से कहा कि “वह उनकी पहले के साथ खड़े हैं।” प्रवक्ता ने बातचीत को बेहद सौहार्द और स्पष्टवाद करार दिया था।
ह्यूमन राइट वाच एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर केनेथ रोथ ने बीते हफ्ते यूएन महासचिव पर एक लेख लिखा था जिसमे गुएटरेस पर मानवधिकार के मसले पर चुप्पी साध लेने और जनवरी 2017 में यूएन प्रमुख बनने के बाद शांत कूटनीति अपनाने का आरोप लगाया था।
उन्होंने कहा कि “यूएन महासचिव को उइगर मुस्लिमों की दुर्दशा पर सार्वजानिक स्टार पर बोलना होना। इस बावजूद वह चीन की विकास नीति की सराहना की थी।”