संयुक्त राष्ट्र के 37 देशों के राजदूतो ने चीन द्वारा शिनजियांग के अंतरराष्ट्रीय मानव अधिकार में योगदान का 37 देशों ने बचाव किया है। इसमें पाकिस्तान और सऊदी अरब भी शामिल है। 10 जुलाई को 22 देशों के समूहों, यूरोपीय संघ, जापान, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड ने एक बयान जारी किया था।
इस बयान में उन्होंने आग्रह किया था कि चीन को उइगर मुस्लिमों और अन्य मुस्लिम्मों को बंदी पश्चिम शिनजियांग इलाके में बनाकर रखना और अत्याचार करना रोकना चाहिए। शुक्रवार को राज्यों के समूहों रूस, सऊदी अरब, नाइजीरिया, अल्जीरिया और उत्तर कोरिया ने बीजिंग के तरफ से जवाब दिया था।
इन देशों ने दावा किया कि चीन शिनजियांग में धार्मिक चरमपंथ और आतंकवाद का सामना कर रहा है। इस इलाके में अधिकतर मुस्लिम निवास करते हैं। लेकिन आतंक रोधी कार्रवाई और प्रशिक्षण के जरिये, चीन इस इलाके में शांति और सुरक्षा को दोबारा बहाल कर लेगा।
यूएन को दिए खत में उन्होंने कहा कि “चीन में आतंकरोधी और चरमपंथ रोधी अभियान के जरिये मानवधिकार का सम्मान और संरक्षण किया जा रहा है, हम इसकी सराहना करते हैं।” चीन ने पश्चिम के ख़त का आलोचना की थी। यह पत्र पश्चिमी मीडिया का पाखंड और तथ्यों को तोड़ मरोड़कर पेश करना है।
उन्होंने कहा कि “इस क्षेत्र के लोग अधिक बेहतर और खुशहाल महसूस कर रहे हैं, वह यहाँ खुश और सुरक्षित है।” चीनी कूटनीतिज्ञ ने सुझाव दिया कि आतंकवाद से लड़ने के चीन के अनुभव को अन्य देशों के साथ भी साझा करना लाभदायक होगा।
चीन के कथित प्रशिक्षण संस्थानों के निर्माण ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित किया है। चीन के मुताबिक, यह शिविर चरमपंथी विचारधारा के अंत के लिए स्थापित किये गए हैं जबकि पश्चिमी मुल्कों के मुताबिक यह नजरंबंद शिविर है जहां उइगर मुस्लिमों को कैद किया गया है।
शिनजियांग में हालिया आतंकी हमलो के पीछे चीन ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट को जिम्मेदार ठहरता है। हालाँकि कई राजनयिकों और विदेशी जानकारी को सन्देश है कि वाकई ऐसा कोई समूह अस्तित्व में हैं।