उत्तर प्रदेश के लखनरू में सम्पन्न हुए दो दिवसीय निवेशक सम्मेलन में निवेशकों व योगी सरकार के बीच 4.28 लाख करोड़ के एमओयू पर हस्ताक्षर हुए है। बडी कंपनियों के साथ योगी सरकार ने निवेश पर समझौता तो कर लिया है लेकिन इन्हें लागू करना योगी सरकार के लिए मुख्य चुनौती रहेगी।
यूपी के उद्योग मंत्री सतीश महाना के मुताबिक हम एक सफल शिखर सम्मेलन के साथ राज्य के बारे में धारणा को बदल सकते है। शिखर सम्मेलन को आयोजित करना बड़ी चुनौती नहीं थी बल्कि मुख्य चुनौती एमओयू को लागू करने की होगी। यूपी सरकार सभी आवश्यक औपचारिकताओं को पूरा करने मे सहयोग प्रदान करेगी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शिखर सम्मेलन के उद्घाटन दिवस पर कहा था कि वह एमओयू को लागू करने की प्रक्रिया की व्यक्तिगत रूप से निगरानी करेंगे। इंफ्रास्ट्रक्चर व इंडस्ट्रियल डवलपमेंट कमिश्नर (आईआईडीसी) अनूप चंद्र पांडे ने वरिष्ठ अधिकारियों को शुक्रवार को बुलाया और एमओयू के भविष्य के क्रियान्वयन के बारे में उनके साथ चर्चा की।
कुछ निवेशक तो औपचारिकता पूरी करने के लिए वहां पर रूक गए। पांडेय ने कहा कि सीएम से हमे सभी एमओयू को जल्द शुरू करने का आदेश मिला है। सभी एमओयू की एक विभागवार सूची तैयार की जा रही है।
हम हरसंभव एमओयू के मुताबिक काम करना शुरू कर रहे है। अधिकारियों ने कहा कि कुछ परियोजनाओं में निवेश में दिलचस्पी दिखाने के बावजूद एमओयू पर हस्ताक्षर नहीं करने वाले निवेशकों पर भी नजर रखी जा रही है।
एमओयू के हिसाब से माने तो बुनियादी ढांचा क्षेत्र में यूपी राज्य को अधिकतम निवेश मिलने की संभावना है। मुख्यमंत्री ने पहले ही संकेत दिया है कि उनकी सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि एमओयू लागू करने पर आवश्यक कार्रवाई अगले छह महीनों के भीतर पूरी कर ली जाए। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों से राज्य में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए करीब 9,5860.31 करोड़ रुपये का अतिरिक्त निवेश मिलने की उम्मीद है।