लंदन, 31 मई (आईएएनएस)| बंग्लादेश मूल की ब्रिटिश किशोरी शमीमा बेगम के 2015 में इस्लामिक स्टेट (आईएस) की जिहादी दुल्हन बनने के लिए भाग जाने को उसके परिवार के वकील ने ब्रिटिश अधिकारियों की विफलता करार दिया।
वकील ने कहा कि यह ब्रिटिश अधिकारियों की विफलता ही है, जिसके कारण शमीमा चरमपंथियों के प्रभाव से बचने में नाकम रही और वहां जाकर ‘दुल्हन व कट्टरपंथी’ बनी।
19 साल की बेगम तीन छात्राओं में से एक थीं, जो इस आतंकी समूह में शामिल होने के लिए लंदन में अपने घर से निकल गईं और इस साल के शुरू में एक सीरियाई शरणार्थी शिविर में फिर से वापस आ गईं।
बीबीसी की रपट के अनुसार, बेगम के परिवार के वकील ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री बनने की अपनी महत्वाकांक्षा को पूरा करने के चलते गृह सचिव साजिद जाविद ने किशोरी शमीमा की नागरिकता रद्द की।
सीरिया में एक शरणार्थी शिविर में मिली शमीमा बेगम ने इससे पहले वहां एक आईएस लड़ाके से शादी की।
गर्भवती होने के बाद उसने दो बच्चों को जन्म दिया था और तीसरे बच्चे को जन्म देने वाली थी, इसी दौरान उसने ब्रिटेन स्थित अपने घर लौटने की इच्छा जताई। जबकि शमीमा के सीरिया के शरणार्थी शिविर में होने की जानकारी के बाद प्रशासन ने फरवरी में उसकी नागरिकता रद्द कर दी।
शमीमा बेगम के दो बच्चों की पहले ही मृत्यु हो चुकी थी। उसके तीसरे बच्चे का जन्म 16 फरवरी को हुआ और 8 मार्च को निमोनिया के चलते बच्चे की मृत्यु हो गई।
तब से शमीमा ब्रिटिश नागरिकता को रद्द करने के फैसले के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रही है।