शंघाई सहयोग संगठन
शंघाई सहयोग संगठन(शंघाई कोऑपरेशन आर्गेनाईजेशन) मध्य आशियाई देशों का संगठन हैं। इसकी स्थापना 26 अप्रैल 1996 में हई थी।
इस संगठन की शुरुवात पांच सदस्य देशों के शीर्ष नेताओं के मिलकर आपसी सैन्य सहयोग बढ़ाने के संधी पर हस्ताक्षर करने के बाद हुई, चूँकि इस संधी पर हस्ताक्षर चीन के शंघाई में किए गए थे इस लिए इस संगठन को शंघाई सहयोग संगठन कहा जाता हैं।
संगठन के शुरवाती सदस्य देश चीन, किर्गिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान, कजाकस्तान थे।
2001 के शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में सभी सदस्य देश उज्बेकिस्तान को संगठन का पूर्ण सदस्यत्व देने पर सहमत हुए। उज्बेकिस्तान को संगठन में शामिल करने से पहले यह संगठन महज शीर्ष नेताओं की मुलाकात तक ही सीमित था, लेकिन 2001 में सभी छह सदस्य देशों ने डिक्लेरेशन ऑफ़ शंघाई कोऑपरेशन आर्गेनाइजेशन पर हस्ताक्षर किए, जिससे संगठन को मूर्त रूप मिला।
जून 2002 की बैठक में सभी छह सदस्य देशों ने एससीओ चार्टर पर हस्ताक्षर किए, जिसके कारन संगठन की उपयोगिता, बुनियादी ढांचा और सहयोग सभी में सुधार किया गया। एससीओ चार्टर पर हस्ताक्षर के बाद एससीओ को एक अन्तर्राष्ट्रीय संगठन के रूप में मान्यता मिली।
जुलाई 2005 में कज़ाकिस्तान की राजधानी अस्ताना में हुई बैठक में पहली बार भारत, ईरान, मंगोलिया, पाकिस्तान को निरीक्षक के रूप में आमंत्रित किय गया। आनेवाले समय में सदी देशों के बीच सहयोग में काफी इजाफा हुआ, ट्रांसपोर्टेशन, उर्जा, दूरसंचार के क्षेत्र में सदस्य देश आपसी सहयोग से काम करने लगे। संगठन की सालाना बैठक में सुरक्षा, विदेश मामले, सांस्कृतिक, बैंकिंग जैसे विषयों पर भी चर्चा होने लगी।
2015 में रशिया के उफ़ा में आयोजित संगठन की बैठक में सदस्य देश भारत और पाकिस्तान को संगठन का पूर्ण सदस्यत्व देने पर राजी हुए। दोनों देशों ने संगठन में शामिल होने के लिए सभी जरुरी मानकों की पुर्तता की। 2017 में कजाकस्तान में आयोजित संगठन की बैठक में भारत और पाकिस्तान ने पूर्ण सदस्यता के साथ वार्ता में हिस्सा लिया।
एससीओ की भारत के लिए अहमियत
खनिज संपन्न मध्य एशिया के देशों के साथ अपने संबंधों को सुधारना भारत के लिए एक प्राथमिकता रही हैं। शंघाई सहयोग संगठन से सभी सदस्य देश दुनिया के कुल आबादी के 60 प्रतिशत से भी ज्यादा का प्रतिनिधित्व करता हैं। चीन विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और दूसरी ओर भारत सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था हैं। यह संगठन भारत को एक संवाद के लिए मंच मुहैय्या करता हैं, जिसका उपयोग करके भारत अपने विकास को गति देस सकें और इन देशों के विकास में सहयोग कर सकें।
आपको बतादे, परमाणु उर्जा बनाने के लिए जरुरी युरेनियम का सबसे बड़ा भंडार, उज्बेकिस्तान में हैं। यह देश अपनी उर्जा जरूरतों से ज्यादा उर्जा निर्माण करने में सक्षम हैं, भारत इन देशों की आतिरिक्त उर्जा को लेकर अपनी बदती आबादी की उर्जा जरूरतों को पूरा कर सकता हैं।
आपको बतादे, भारत के अमेरिका, रूस और जापान से संबंध अच्छे हैं। लेकिन दूसरी ओर अमेरिका के रूस के साथ संबंध कुछ अच्छे नहीं हैं। अमेरिका और रूस के बीच टकराव की स्थिति में भारत मध्यस्थ की भूमिका अदा कर सकता हैं।
भारत के लिए शंघाई सहयोग संगठन महत्वपूर्ण हैं, संगठन के सभी देश आतंकवाद से परेशां हैं और सभी एकमत से आतंकवाद का विरोध करते हैं। इस मच के माध्यम से भारत, अपने पड़ोसी पाकिस्तान द्वारा फैलाए जानेवाले आतंकवाद पर सवाल उठा सकता हैं।
संगठन के सदस्य देशों के बीच नाटो देशों जैसी कोई सैन्य संधी नहीं हैं, लेकिन संगठन में भारत, चीन, रूस जैसी शक्तिशाली सेनाए होने के वजह से इसे एशियाई नाटो भी कहा जात हैं।
एससीओ के सदस्य देशों के बीच इस साल अक्टूबर में साखा सैन्य अभ्यास प्रस्तावित हैं, भारत भी इस साझा अभ्यास में हिस्सा ले रहा हैं। यह पहला ऐसा अवसर होगा जब युद्ध के अलावा भारत और पाकिस्तान की सेनाए आमने-सामने होंगी।