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    व्हाट्सप्प

    भारत सरकार नें सभी टेलिकॉम कंपनियों से यह जानने की कोशिश की है, कि किस प्रकार तत्कालीन स्थिति में व्हाट्सप्प और फेसबुक जैसी सोशल मीडिया वेबसाइट को सरकार लोगों के लिए ब्लाक कर सके।

    लाइवमिंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 18 जुलाई को सरकार की ओर से दूरसंचार मंत्रालय नें भारती एयरटेल, रिलायंस जिओ, वोडाफोन, आईडिया, बीएसएनएल समेत अन्य कंपनियों को एक खत लिखा था, जिसमें सरकार नें ऐसे तरीके जानने की कोशिश की है, जिनसे इन्स्टाग्राम, फेसबुक, व्हाट्सप्प जैसी सोशल मीडिया वेबसाइट को इन्टरनेट पर ब्लाक किया जा सके।

    टेलिकॉम कंपनियों की मानें तो ऐसा करना लोगों के मौलिक अधिकारों के खिलाफ होगा। जाहिर है बोलने और अपने आप को व्यक्त करने का हमें मौलिक अधिकार है, और इसे किसी भी परिस्थिति में जनता से छीना नहीं जा सकता है।

    सरकार के इस कदम के बारे में एक अधिकारी का कहना है,

    हमनें हमारी रिपोर्ट में यह साफ़ कर दिया है कि ऐसा करना काफी कठिन होगा। आज के समय में आप इन्टरनेट कैसे बंद कर सकते हैं, जब ट्रेवल और वित्तीय सेवाओं जैसे जरूरी काम लोग इंटरनेट के जरिये ही करते हैं।

    दूरसंचार मंत्रालय नें इस बारे में अपनी सफाई देते हुए कहा है कि वे ऐसा कुछ भी नहीं करने जा रहे हैं और सिर्फ इस बारे में जानकारी हासिल कर रहे हैं।

    मंत्रालय के एक अधिकारी नें बताया,

    किसी भी एप को ब्लॉक नहीं किया जा रहा है। हमें ऐसे निर्देश हैं, कि आपातकाल की स्थिति में ऐसे एप को ब्लॉक करना काफी कठिन होता है, इस कारण से हम ऐसे तरीके तलाश रहे हैं, जिनसे आसानी से इन्हें ब्लॉक किया जा सके।

    आपको बता दें, इन्टरनेट बंद करने के निर्देश मंत्रालय को या तो अदालत की तरफ से आते हैं या फिर साइबर लॉ से जुड़े संस्था ऐसा करने के निर्देश देते हैं।

    पहले भी हो चुके हैं कई मामले

    भारत में इंटरनेट बंद करना कोई नयी बात नहीं है। पिछले कुछ समय में ढेरों ऐसे मामले आये हैं, जब सरकार क़ानूनी व्यवस्था को कायम करने में असमर्थ रही है और इस कारण सरकार नें इंटरनेट बंद किया है।

    हाल के समय में ही देखें तो राजस्थान, मध्य प्रदेश आदि राज्यों में कई बार सरकार को ऐसा करना पड़ा है। इन राज्यों में दलित आंदोलन के चलते कई दिन इंटरनेट प्रभावित रहा था।

    अभी हाल ही में राजस्थान सरकार नें परीक्षा में नक़ल को रोकने के लिए इंटरनेट बंद करने के आदेश दिए थे।

    इस मामले में एक अन्य अधिकारी नें कहा है,

    इंटरनेट को बंद करना देश की आन्तरिक सुरक्षा को बनाये रखने के लिए जरूरी है।

    इस मामले में वकील पवन दुग्गल का कहना है,

    सरकार 21वीं सदी में होने वाली समस्याओं का समाधान 19वीं सदी के तरीकों से कर रही है। किसी चीज पर प्रतिबन्ध लगाने से लोगों में उसके प्रति अधिक जागरूकता बढ़ती है। ऐसी योजना तभी सफल हो सकती हैं, जब ये सभी सेवाएं देशी हों, लेकिन ये सारे एप विदेशी हैं।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

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