रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर साल 2006 के बाद पहली बार जनता के भरोसे में कमी देखने को मिली है। हालिया पोल के मुताबिल रूसी राष्ट्रपति पर भरोसे में 33 फीसदी की कमी आयी है। इसके प्रमुख कारण अर्थव्यवस्था की वृद्धि में कमी, आय में गिरावट और उम्र से पूर्व ही रिटायरमेंट हो सकता है। साल 2015 में रूसी राष्ट्रपति पर पर विश्वास स्तर 71 प्रतिशत था, जब क्रीमिया को रूस ने हथियाया था।
मास्को में स्थित स्वतंत्र पोलस्टार लेवाडा सेंटर के दिसंबर 2018 के सर्वे के मुताबिक 53 फीसदी लोगों ने रूसी सरकार को नकारा है। यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के एक रूसी राजनीति के विश्लेषक बेन नोबेल ने कहा कि ” रूस इन आंकड़ों को गंभीरता से लेता है, इसलिए हमें उन पर ध्यान देना चाहिए।’
जब साल 1998 में आर्थिक उथल-पुथल के दौरान व्लादिमीर पुतिम सत्ता में आये तो उन्होंने अभिव्यक्ति की आज़ादी के बदले रूसी लोगों को बेहतर वेतन और सभ्य जिंदगी देने का वादा किया था। रूस और यूरेशिया के थिंक टैंक मैथ्यू बोलेग ने कहा कि रूसी प्रणाली अब उस समाजिक अनुबंध को नही दे सकते है जो व्लादिमीर पुतिन ने सत्ता में आने के बाद जनता को दी थी। रूसी राष्ट्रपति ने रूस को दोबारा महान बनाने का वादा किया था।
मास्को के हायर स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के अनुसार साल 2014 के बाद इन वर्ष आय में कमी आयी और अभी अधिक गिरावट आने की भी संभावना है। रायटर्स के पोल के मुताबिक बीते वर्ष रूस के सकल घरेलू उत्पाद में 1.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी और इस वर्ष 1.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है। रूस की विदेश नीति में घरेलू राजनीति को काफी नुकसान हुआ है। मास्को के क्रीमिया पर कब्जा करने के बाद अमेरिका और यूरोपीय संघ ने प्रतिबंध लगा दिए थे, जिसके बाद रूस में कारोबार ठप पड़ गया था।
बीते वर्ष रूस ने यूक्रेन के तीन नौसैन्य जहाजो को जब्त कर लिया था और नौसैनिकों को हिरासत में ले लिया था। नोबल ने कहा कि पहले लोग रूसी राष्ट्रपति के नजदीकी लोगो के साथ जुड़कर अपनी समस्याओं को साझा करते थे लेकिन अब लोगों ने रूसी राष्ट्रपति से अपनी दिक्कतों को साझा करना शुरू कर दिया है क्योंकि वह उन नीतियों का प्रमुख चेहरा है।