Mon. May 6th, 2024
व्यंजन संधि

विषय-सूचि

इस लेख में हम संधि के भेद व्यंजन संधि के बारे में पढेंगे।

व्यंजन संधि की परिभाषा

  • जब संधि करते समय व्यंजन के साथ स्वर या कोई व्यंजन के मिलने से जो रूप में परिवर्तन होता है, उसे ही व्यंजन संधि कहते हैं।
  • यानी जब दो वर्णों में संधि होती है तो उनमे से पहला यदि व्यंजन होता है और दूसरा स्वर या व्यंजन होता है तो उसे हम व्यंजन संधि कहते हैं।

व्यंजन संधि के कुछ उदाहरण :

  • दिक् + अम्बर = दिगम्बर
  • अभी + सेक = अभिषेक
  • दिक् + गज = दिग्गज
  • जगत + ईश = जगदीश

व्यंजन संधि के नियम :

व्यंजन संधि के कुल 13 नियम होते हैं जो कि निम्न है :

नियम 1:

  • जब किसी वर्ग के पहले वर्ण (क्, च्, ट्, त्, प्) का मिलन किसी वर्ग के तीसरे या चौथे वर्ण से या (य्, र्, ल्, व्, ह) से या किसी स्वर से हो जाये तो क् को ग् , च् को ज् , ट् को ड् , त् को द् , और प् को ब् में बदल दिया जाता है।
  • अगर व्यंजन से स्वर मिलता है तो जो स्वर की मात्रा होगी वो हलन्त वर्ण में लग जाएगी।
  • लेकिन अगर व्यंजन का मिलन होता है तो वे हलन्त ही रहेंगे।

उदाहरण :

  • क् का ग् में परिवर्तन :
    • वाक् +ईश : वागीश
    • दिक् + अम्बर : दिगम्बर
    • दिक् + गज : दिग्गज
  • ट् का ड् में परिवर्तन :
    • षट् + आनन : षडानन
    • षट् + यन्त्र : षड्यन्त्र
    • षड्दर्शन : षट् + दर्शन
  • त् का द् में परिवर्तन :
    •  सत् + आशय : सदाशय
    •  तत् + अनन्तर : तदनन्तर
    •  उत् + घाटन : उद्घाटन
  • प् का ब् में परिवर्तन :
    • अप् + ज : अब्ज
    • अप् + द : अब्द आदि।

नियम 2:

  • अगर किसी वर्ग के पहले वर्ण (क्, च्, ट्, त्, प्) का मिलन न या म वर्ण ( ङ,ञ ज, ण, न, म) के साथ हो तो क् का ङ्, च् का ज्, ट् का ण्, त् का न्, तथा प् का म् में परिवर्तन हो जाता है।

उदाहरण :

  • क् का ङ् में परिवर्तन :
    • दिक् + मण्डल : दिङ्मण्डल
    • वाक् + मय  : वाङ्मय
    • प्राक् + मुख : प्राङ्मुख
  • ट् का ण् में परिवर्तन :
    • षट् + मूर्ति : षण्मूर्ति
    • षट् + मुख : षण्मुख
    • षट् + मास : षण्मास
  • त् का न् में परिवर्तन :
    • उत् + मूलन : उन्मूलन
    • उत् + नति :  उन्नति
    • जगत् + नाथ : जगन्नाथ

नियम 3:

  • जब त् का मिलन ग, घ, द, ध, ब, भ, य, र, व से या किसी स्वर से हो तो द् बन जाता है।
  • म के साथ क से म तक के किसी भी वर्ण के मिलन पर ‘ म ‘ की जगह पर मिलन वाले वर्ण का अंतिम नासिक वर्ण बन जायेगा।

उदाहरण :

  • म् का (क ख ग घ ङ) के साथ मिलन :
    • सम् + कल्प : संकल्प/सटड्ढन्ल्प
    • सम् + ख्या : संख्या
    • सम् + गम : संगम
    • शम् + कर : शंकर
  • म् का (च, छ, ज, झ, ञ) के साथ मिलन :
    • सम् + जीवन : संजीवन
    • सम् + चय : संचय
    • किम् + चित् : किंचित
  • म् का (ट, ठ, ड, ढ, ण) के साथ मिलन :
    • दम् + ड : दंड
    • खम् + ड : खंड
  • म् का (त, थ, द, ध, न) के साथ मिलन :
    • सम् + देह : सन्देह
    • सम् + तोष : सन्तोष/
    • किम् + नर : किन्नर
  • म् का (प, फ, ब, भ, म) के साथ मिलन :
    • सम् + पूर्ण : सम्पूर्ण
    • सम् + भव : सम्भव
  • त् का (ग , घ , ध , द , ब , भ ,य , र , व्) के उदहारण :
    • जगत् + ईश : जगदीश
    • भगवत् + भक्ति : भगवद्भक्ति
    • तत् + रूप : तद्रूपत
    • सत् + भावना = सद्भावना

नियम 4 :

  • त् से परे च् या छ् होने पर , ज् या झ् होने पर ज्, ट् या ठ् होने पर ट्, ड् या ढ् होने पर ड् और होने पर ल् बन जाता है।
  • म् के साथ (य, र, ल, व, श, ष, स, ह) में से किसी भी वर्ण का मिलन होने पर ‘म्’ की जगह पर अनुस्वार ही लगता है।

उदाहरण :

  • सम् + वत् : संवत्
  • तत् + टीका : तट्टीका
  • उत् + डयन : उड्डयन
  • सम् + शय : संशय

नियम 5:

  • जब त् का मिलन अगर श् से हो तो त् को च् और श् को छ् में बदल दिया जाता है। जब त् या द् के साथ या का मिलन होता है तो त् या द् की जगह पर च् बन जाता है।

उदाहरण:

  • उत् + शिष्ट : उच्छिष्ट
  • शरत् + चन्द्र : शरच्चन्द्र
  • उत् + छिन्न : उच्छिन्न
  • उत् + चारण : उच्चारण

नियम 6 :

  • जब त् का मिलन ह् से हो तो त् को द् और ह् को ध् में बदल दिया जाता है। त् या द् के साथ या का मिलन होता है तब त् या द् की जगह पर ज् बन जाता है।

उदाहरण :

  • उत् + हरण : उद्धरण
  • तत् + हित : तद्धित
  • सत् + जन : सज्जन
  • जगत् + जीवन : जगज्जीवन
  • वृहत् + झंकार : वृहज्झंकार
  • उत् + हार : उद्धार

नियम 7:

  • स्वर के बाद अगर छ् वर्ण आ जाए तो छ् से पहले च् वर्ण बढ़ा दिया जाता है।
  • त् या द् के साथ ट या ठ का मिलन होने पर त् या द् की जगह पर ट् बन जाता है।
  • जब त् या द् के साथ ‘ड’ या ढ की मिलन होने पर त् या द् की जगह पर‘ड्’बन जाता है।

उदाहरण:

  • आ + छादन : आच्छादन
  • संधि + छेद : संधिच्छेद
  • तत् + टीका : तट्टीका
  • वृहत् + टीका : वृहट्टीका
  • भवत् + डमरू : भवड्डमरू
  • स्व + छंद : स्वच्छंद

नियम 8:

  • अगर म् के बाद क् से लेकर म् तक कोई व्यंजन हो तो म् अनुस्वार में बदल जाता है।
  • त् या द् के साथ जब ल का मिलन होता है तब त् या द् की जगह पर ‘ल्’ बन जाता है।

उदाहरण :

  • तत् + लीन = तल्लीन
  • विद्युत् + लेखा = विद्युल्लेखा
  • किम् + चित = किंचित
  • उत् + लास = उल्लास

नियम 9 :

  • म के बाद य, र, ल, व, श, ष, स, ह में से कोई एक व्यंजन हो तो म् अनुस्वार में बदल जाता है।

उदाहरण:

  • सम् + योग : संयोग
  • सम् + हार : संहार
  • सम् + वाद : संवाद
  • सम् + शय : संशय

नियम 10 :

, रू या थ्रू के बाद न तथा इनके बीच में चाहे स्वर, क वर्ग, प वर्ग , अनुश्वार , य व या ह आये तो न् का ण हो जाता है।

उदाहरण :

  • भुष + अन : भूषण
  • प्र + मान : प्रमाण
  • राम + अयन : रामायण

नियम 11 :

  • यदि किसी शब्द का पहला वर्ण स हो तथा उसके पहले अ या आ के अलावा कोई दूसरा स्वर आये तो स के स्थान पर ष हो जाता है।

उदाहरण:

  • अनु + सरण : अनुसरण
  • सु + सुप्ति : सुषुप्ति
  • वि + सर्ग : विसर्ग
  • नि : सिद्ध : निषिद्ध

नियम 12 :

  • यौगिक शब्दों के अंत में यदि प्रथम शब्द का अंतिम वर्ण न हो, तो उसका लोप हो जाता है।

उदाहरण :

  • हस्तिन + दंत : हस्तिन्दंत
  • प्राणिन + मात्र : प्राणिमात्र
  • राजन + आज्ञा : राजाज्ञा

नियम 13 :

जब ष के बाद त या थ रहे तो त के बदले ट और थ के बदले ठ हो जाता है।

उदाहरण:

  • शिष् + त : शिष्ट
  • पृष् + थ : पृष्ठ

व्यंजन संधि से सम्बंधित यदि आपका कोई भी सवाल या सुझाव है, तो आप उसे नीचे कमेंट में लिख सकते हैं।

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By विकास सिंह

विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

14 thoughts on “व्यंजन संधि : परिभाषा, नियम एवं उदाहरण”
    1. उत्+गम्=उद्गम होगा।
      यहां प्रथम वर्ण का तृतीय वर्ण हो गया है।

  1. Sir व्यंजन संधि के भेदो की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए sir is questions ka answer bata do

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