सूत्रों से मिली खबर के अनुसार वोडाफोन जल्द ही कुछ अतिरिक्त वित्त पाने के लिए अपनी वर्तमान परिसंपत्तियां जैसे मोबाइल टावर और फाइबर नेटवर्क की परिसंपत्तियों की बिक्री कर सकता है। इस तरह वोडाफोन अपनी योजना में अतिरिक्त वित्त जोड़ सकता है।
क्या है परिसंपत्तियों को बेचने का कारण ?
वोडाफोन-आईडिया द्वारा अपनी परिसंपत्तियां बेचने का मुख्य कारण उसके 2018 में हुए घाटे का वहन करना है। उल्लेखनीय है की जिओ के बढ़ते असर से वोडाफोन को साल 2018 में कुल 1,23,660 करोड़ रुपयों का घाटा हुआ था जोकि पिछले 1 दशक का सबसे बड़ा घाटा था। इसके चलते वोडाफोन के शीर्ष कार्यकारियों ने इस समस्या का समाधान निकालने की योजना बनाई थी।
इसके साथ ही वोडाफोन के ग्राहकों की संख्या में बड़ी गिरावट दर्ज की गयी थी जिसने घाटे को ओर बाधा दिया था। इसके चलते पहले वोडाफोन की योजना अपनी हिस्सेदारी बेचकर वित्त जुटाना था लेकिन अब वोडाफोन-आईडिया ने अपनी परिसंपत्तियां बेचने का भी फैसला कर लिया है।
वोडाफोन-आईडिया के प्रवक्ता का बयान :
इस संबब्ध में वोडाफोन के एक प्रवक्ता ने बयान दिया जिसमे उन्होंने कहा”वोडाफोन ने जो परिसंपत्तियां बेचने का फैसला लिया है उसका मूल्य 20000 करोड़ निकलकर आया है। इनकी बिक्री पर आखिरी फैसला होना बाकी है उसके बाद हूँ इन्हें बेचा जाएगा।”
इसके साथ ही उन्हीने यह भी बताया की”हमारी योजना में इंडस में वोडाफोन की हिस्सेदारी बेचना भी है जोकि 50 अरब रुपयों के बराबर है। इसके अंतर्गत वोडाफोन के पास कुल 1.56 लाख किलोमीटर की फाइबर परिसंपत्तियां है।”
वोडाफोन का पिछले साल का प्रदर्शन रहा बेकार :
अपनी इस योजना का कारण वोडाफोन ने बढ़ते घाटों को बताया। यह उल्लेखनीय है की जिओ के आने से वोडाफोन समेत सभी प्रदाताओं के बुरे हालात हो चुके हैं। पिछले वर्ष में सभी प्रदाताओं का प्रदर्शन बहुत खराब रहा है।
यदि वोडाफोन के प्रदर्शन की बात करें तो इसने वर्ष 2018 में कुल 3.5 ग्राहक जिओ के परवान चढ़ा दिए। इतना ही नहीं, इसके साथ वोडाफोन को पिछली तिमाही में 5004 करोड़ के घाटे का वहन भी करना पड़ा। हालांकि वोडाफोन के ग्राहकों की संख्या कम हुई लेकिन वोडाफोन की कई क्षेत्रों में 4G कनेक्टिविटी बेहतर हो गयी है और वोडाफोन लगातार अपनी सुविधाओं में सुधार कर रहा है ताकि हालत सुधर सकें।