Sat. Nov 23rd, 2024
    अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और चीनी राष्ट्रपति शी जिंगपिंग

    चीन और अमेरिका के मध्य न सिर्फ व्यापार जंग छिड़ी है बल्कि विश्व में अपने प्रभाव को साबित करने के लिए भी दोनों राष्ट्र भरसक प्रयास कर रहे हैं। अपने इस प्रभाव को सिद्ध करने के लिए दो वैश्विक ताकते कई अन्य राष्ट्रों का इस्तेमाल पपेट के तरह कर रही है।

    राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के व्यापार युद्ध छेड़ने के कारण दोनों सुपर पॉवर के बीच की जंग अब अगले पड़ाव में प्रवेश कर चुकी है। इससे कई कूटनीतिज्ञ और सैन्य मसलों पर चिंता बढ़ गयी है मसलन, ताईवान, दक्षिणी चीनी सागर और ईरान व उत्तर कोरिया पर लगे आर्थिक प्रतिबन्ध।

    दुनिया में अपना प्रभुत्व कायम करने और दूसरे देश को चित करने के लिए चीन और अमेरिका कई देशों के साथ साझेदारी और गठबंधन बनाने की जुगत में हैं। चीन और अमेरिका के राष्ट्रपति नवम्बर में एर्जेंटिना में आयोजित जी-20 सम्मेलन में मुलाकात करेंगे। अमेरिका ने मंगलवार एक बार फिर अपनी भड़ास निकालते हुए कहा कि चीन के समक्ष तकनीक ट्रान्सफर, इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी और इन्नोवातों से सम्बंधित कोई संवैधानिक कानून या नीति है।

    अमेरिका ने चीन पर निरंतर गैर निष्पक्ष व्यापार करने का आरोप लगाया था। डोनाल्ड ट्रम्प ने कई बार कहा है कि चीन अमेरिका के साथ जल्द ही एक समझौता चाहता है, साथ ही चीनी को धमकाया है कि अगर बीजिंग अमेरिकी उत्पादों के लिए अपने बाज़ार नहीं खोलेगा और अपने गैर निष्पक्ष व्यापार नीति को बंद नहीं करेगा तो अमेरिका उसके सभी उत्पादों पर भारी शुल्क लगाएगा।

    राष्ट्रपति ने पत्रकारों से कहा कि चीन ने सालों से अमेरिका को लूटा हैं लेकिन अब मेरे दौर में ऐसा नहीं कर पायेगा। बुधवार को चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि हमारे मध्य सामान्य आर्थिक और व्यापारिक मतभेद है, इन मतभेदों को सुलझाने का मार्ग बातचीत है जो साझा सम्मान, बराबरी और आस्था पर आधारित हो।

    चीनी विश्लेषक ने कहा कि दोनों राष्ट्रों के मध्य बातचीत का रास्ता अब मुश्किल होता जा रहा है, एशिया का कोई भी देश चीन और अमेरिका को अनाराज़ नहीं करना चाहता है। साल 2017 में डोनाल्ड ट्रम्प ने ऐलान किया कि पेरिस संधि से  अमेरिका बाहर निकल रहा है और उसी राह पर अब चीन अग्रसर है।

    अमरीका कई बार चीन पर तकनीक चोरी के इल्जामात लगता रहा है इसी कारण अमेरिका ने आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस और अन्य तकनीकों के निर्यात के लिए एक नया क़ानून पारित किया है। ट्रम्प प्रशासन ने इशारा किया है कि अन्य राष्ट्रों के साथ व्यापार समझौता चीन पर दबाव बनाने के लिए है। अमेरिका वार्ता के लिए जापान, फ़िलीपीन्स के साथ संपर्क बना रहा है और भारत व वियतनाम को भी अपने हक़ में लेना चाहता है।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *