संयुक्त राष्ट्र ने सोमवार को कहा कि “327000 से अधिक वेनेजुएला के बच्चे कोलोम्बिया में प्रवासी और शरणार्थी के तौर पर रहने को मज़बूर है और इसका कारण उनके अपने मुल्क में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी और शिक्षा की अव्यवस्थता है।”
यूनिसेफ के निदेशक पलोमा एस्क्युडेरो ने कहा कि “इस वक्त जब विश्व में प्रवासी विरोधी संवेदनाएं उजागर हो रही है, कोलोम्बिया ने अपने पड़ोसी मुल्क के नागरिकों के लिए दरवाजे खोले हैं।” हाल ही में उन्होंने वेनेजुएला के साथ लगे कोलोंबो के बॉर्डर कुकुट्टा की चार दिवसीय यात्रा की थी।
वेनेजुएला की आर्थिक और राजनीतिक बदहाली बढ़ती जा रही है और इससे 37 लाख लोगो ने अपना घर छोड़ा है और ब्राज़ील, कोलोंबिया, पेरू, इक्वेडोर और अन्य देशों के तरफ गए हैं। यूनिसेफ के मुताबिक, करीब 12 लाख लोग कोलोम्बिया में हैं।
उन्होंने कहा कि “अधिकतर परिवार वेनेजुएला को त्यागने का रोजाना दर्दनाक निर्णय ले रहा है। अब इस वक्त अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को अपना सहयोग बढ़ाना चाहिए और उन्हें मूल जरुरत मुहैया करनी चाहिए और हम इस उदारता को खत्म नहीं कर सकते हैं। अधिकतर परिवारों के लिए देश छोड़ना ही आखिरी विकल्प है।”
सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, वेनेजुएला में काफी दिनों से बिजली काट दी गयी है। 70 प्रतिशत लोग बगैर बिजली को मज़बूर है और सरकार ने उन्हें स्कूल बंद करने और कार्य ठप करने के लिए मज़बूर कर दिया है। निकोलस मादुरो इस हालात का जिम्मेदार अमेरिका को ठहराते हैं।
विपक्षी नेता जुआन गाइडो ने 50 पश्चिमी देशों के समर्थन से खुद को देश का अंतरिम राष्ट्रपति घोषित किया था और उन्होंने मादुरो की सरकार पर कुप्रबंधन और भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। बीते रविवार को निकोलस मादुरो ने कहा कि “स्कूल दोबारा खुल चुके हैं और पानी व बिजली की समास्या का समाधान किया जा चुका है। हालाँकि अधिकतर नागरिक इसे लेकर असमंजस में हैं कि कितने समय तक यह सुविधाएं उपलब्ध होंगी लेकिन उनके पास कुछ विकल्प है।
कोलोम्बिया ने वेनेजुएला से प्रवास किये बच्चों को मुफ्त शिक्षा मुहैया करने का प्रस्ताव दिया है। कुकुट्टा में करीब 10000 छात्र हैं। अन्य मानवीय विभागों, राष्ट्रीय और स्थानीय विभागों, एनजीओ और कोलोम्बिया में समुदाय के साथ मिलकर यूनिसेफ कार्य कर रहा है।