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    माइक पेन्स

    अमेरिका के उपराष्ट्रपति माइक पेन्स ने शुक्रवार को कहा कि “वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो को सत्ता से हटना ही होगा, उनको वजह से से वेनेजुएला की जनता परेशानियों से जूझ रही हैं।” व्हाइट हाउस द्वारा जारी बयान के मुताबिक, उन्होंने कहा कि “इस बाबत कोई गलती मत करना। वेनेजुएला लोकतंत्र और तानाशाही के बीच संघर्ष कर रहा है, लेकिन आज़ादी के पास गति है।”

    उपराष्ट्रपति ने कहा कि “निकोलस मादुरो एक तानाशाह है, जिसके पास सत्ता का दावा करने के लिए कोई वैधता नहीं है। मादुरो को सत्ता छोड़कर जाना ही होगा।” माइक पेन्स का यह बयान टेक्सास के हॉस्टन में स्थित राइस यूनिवर्सिटी के बेकर इंस्टीटूट में दिया था। यह स्थान प्रवासी वेनुजुएला समुदाय का घर है। साथ ही वेनेजुएला की तेल कंपनी पीडीवीसीए की सहायक कंपनी सीआइटीजीओ का मुख्यालय भी है।

    गुइदो के बाबत माइक पेन्स ने कहा कि “उन्हें, उनकी चयनित सरकार, नेशनल असेंबली को हमारा पूरा समर्थन है क्योंकि अमेरिकी जनता वेनेजुएला के संविधान का समर्थन करते हैं। हम नियम कानून का समर्थन करते हैं और हमें लगता है कि निकोलस मादुरो की तानाशाही एक समृद्ध और महान राष्ट्र को तबाह कर रही है।”

    उन्होंने कहा कि “जब छह वर्ष पूर्व तानाशाह सत्ता में आया तो उसने समाजवाद को बढ़ावा देने का वादा किया था। अफ़सोस वेनेजुएला की जनता के लिए ऐसा की किया। वेनेजुएला में 10 में से 9 लोग गरीबी में गुजर बसर कर रहे हैं। मैंने कई परिवारों से सुना कि वेनेजुएला के हज़ारो बच्चे भुखमरी से मर रहे हैं और हज़ारो शिशु वेनेजुएला के अस्पतालों में बुनियादी मेडिकल सुविधा और इजाज की कमी से मर रहे हैं।”

    वेनेजुएला के जरूरतमंद लोगो तक राहत सामग्री पंहुचने में बाधा उत्पन्न करने के लिए माइक पेन्स ने मादुरो की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि “मादुरो की भ्रष्टाचारी सरकार की आय के कटौती के लिए अमेरिकी सरकार कार्य कर रही है। कराकास के तानाशाह के वफादार 150 सरकारी कर्मचारियों और संघठनो पर हम रतिबंध थोप रहे हैं।”

    दक्षिण अमेरिकी राष्ट्र कई मूलभूत सुवधाओं के अभाव से जूझ रहा है। देश की जनता को तत्काल मानवीय सहायता की जरुरत है, वहां महंगाई में वृद्धि हुई, पानी और दवाइयों की कमी और अमेरिका के प्रतिबंधों ने हालात और अधिक खराब कर दिए हैं।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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