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    रुसी राष्ट्रपति व्लामिदिर पुतिन और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प

    वेनेजुएला में वर्तमान में राजनैतिक संकट बना हुआ है, जिसपर रूस और अमेरिका में तनातनी बढ़ी हुई है। जहाँ रूस निकोलस मदुरो के समर्थन में है, वहीँ अमेरिका का कहना है कि वेनेजुएला में सत्ता परिवर्तन होना चाहिए।

    रूस नें भेजी सेना

    russia troops venezuela
    रूस नें अपनी सेना को वेनेजुएला में तैनात कर दिया है

    हाल ही में जारी विदेश मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक रूस ने पिछले महीने वेनेजुएला में दो सैन्य विमानों में 100 सैनिकों का कराकस भेजा था।

    सेना भेजने के बाद रूस नें अमेरिका को इस मसले में टांग अड़ाने से मना किया था।

    बीबीसी के मुताबिक रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के प्रवक्ता दमित्री पेस्कोव ने कहा कि “मुझे नहीं लगता है कि हमारे किसी देश से द्विपक्षीय सबंधों के बाबत किसी तीसरी पार्टी को घबराने की जरुरत है। हम वेनेजुएला के घरेलू मसलो मे हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं और तीसरे देश से भी यही उम्मीद करते हैं। वेनेजुएला की जनता को उनके भविष्य का निर्णय खुद लेने देना चाहिए।”

    रूस नें कहा था कि यदि अमेरिका इसमें दखल देता है, तो यह मसला सुलझने से ज्यादा और बिगड़ जाएगा।

    अमेरिका नें भारत का किया धन्यवाद

    अमेरिका ने रविवार को भारत द्वारा वेनेजुएला से तेल आयात में कटौती करने के प्रयासों की सराहना की है। वांशिगटन ने वैश्विक बाजार में वेनेजुएला का तेल आयात करने पर पाबन्दी लगा रखी है।

    वेनेजुएला में अमेरिकी प्रतिनिधि इलियट अब्राहम्स ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा,

    मैं कहना चाहता हूँ कि हमनें भारत सरकार और भारतीय कंपनियों से इस बारे में बात की है। भारतीय कंपनियां वेनेजुएला मामले में हमारी मदद करने को राजी हैं और यह एक अच्छी खबर है।

    हाल ही में वांशिगटन ने विश्व की सभी आयल रिफाइनरी से कराकास के साथ सौदेबाज़ी न करने का आग्रह किया था क्योंकि इसके कारण उन कंपनियों को प्रतिबन्ध झेलने पड़ सकते हैं।

    रायटर्स के मुताबिक अमेरिकी प्रतिनिधि इलियट अब्राहम्स नें कहा था कि अमेरिका भारत पर वेनेजुएला से तेल ना खरीदने का दबाव बना रहा है।

    इस आग्रह के बाद कई भारतीय कमानियों ने वेनेजुएला से तेल का आयात करना बंद कर दिया था।

    इस साल के शुरुआत में अमेरिका ने वेनेजुएला के तेल उद्योग में कई अतिरिक्त प्रतिबन्ध थोपे थे ताकि निकोलस मादुरो की सरकार को कमजोर किया जा सके। अमेरिका ने वेनेजुएला की पेट्रोलेस डी वेनुजुएला (पीडीवीएसए) स्टेट आयल कंपनी पर प्रतिबन्ध लगाए थे। कंपनी के सात अरब डॉलर की संपत्ति को ब्लॉक किया और अन्य कंपनियों को 11 मार्च तक इस कंपनी से नाता तोड़ने को कहा था।

    इन प्रतिबंधों के कारण वेनेजुएला का कच्चे तेल का निर्यात पहले दिन से ही 920000 बैरल प्रतिदिन तक गिर गया था। राष्ट्रपति निकोलस मजदूरों के मुताबिक “अमेरिका के तेल युद्ध शुरू करना चाहता है ताकि वह हमारे मुल्क पर कब्ज़ा कर सके और यहां हुकूमत कर सके।”

    वेनेजुएला में महंगाई के तेज़ी से बढ़ने के कारण हज़ारो स्थानीय लोग देश छोड़कर पडोसी मुल्कों में भाग गये थे। देश में कमी, राजनीतिक उथल पुथल और अपराध दर काफी बढ़ गया था। मजदूरों को अभी भी अमीरों और सेना का महत्वपूर्ण सहयोग मिला हुआ है।

    राष्ट्रपति मादुरो को सेना, रूस, चीन व दर्जनों अन्य राष्ट्रों का समर्थन प्राप्त है। वेनेजुएला आधुनिक दौर के सबसे बड़े आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है। यह महंगाई ने रिकॉर्ड तोड़ एक करोड़ फीसदी उछाल मारी है। वेनुजुएला के राष्ट्रपति आर्थिक संकट के बावजूद अंतर्राष्ट्रीय मदद लेने को तैयार नहीं है और उनके मुताबिक उनका देश भिखारी नहीं है।

    क्या है वेनेजुएला संकट?

    nicolas maduro and juan guaido

    वेनेजुएला का राजनैतिक संकट 10 जनवरी 2019 को शुरू हुआ था, जब वेनेजुएला की संसद में विपक्षी पार्टियों नें निकोलस मदुरो की सरकार पर अविश्वास प्रस्ताव पास किया था।

    आपको बता दें कि मई 2018 में वेनेजुएला में चुनाव हुए थे, जिसमें निकोलस मदुरो वहां के राष्ट्रपति चुने गए थे। इसके तुरंत बाद से विपक्षी पार्टियों नें चुनावों को गलत बताया और निकोलस मदुरो को बर्खास्त करने की मांग की।

    इस साल के जनवरी में अंतत उनके खिलाफ प्रस्ताव लाया गया। जाहिर है कि वेनेजुएला की संसद में वर्तमान में विपक्ष के पास बहुमत है। ऐसे में निकोलस मदुरो के पास बहुमत नहीं है।

    विपक्षी पार्टियों नें निकोलस मदुरो को बर्खास्त कर दिया और विपक्षी नेता युआन गुइडो को अंतरिम राष्ट्रपति घोषित कर दिया था। निकोलस मदुरो हालाँकि सत्ता छोड़ने के लिए तैयार नहीं हुए।

    अमेरिका सहित कई पश्चिमी देशों नें निकोलस मदुरो को हटाने की मांग की है और फिर से चुनाव कराने की मांग की है।

    बीबीसी के मुताबिक नोकोलास मदुरो का कहना है कि अमेरिका वेनेजुएला में अशांति फैलाना चाहता है और वेनेजुएला के तेल भंडार पर कब्ज़ा करना चाहता है।

    युआन गुइडो दूसरी और बार-बार अमेरिका और अन्य देशों से शांति स्थापित करने की मांग कर रहे हैं।

    मार्च 2019 तक विश्वभर में 50 से ज्यादा देशों नें निकोलस मदुरो को अवैध राष्ट्रपति बताया है और युआन गुइडो को सही नेता बताया है।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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