सुप्रीम कोर्ट में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान बुधवार को केंद्र सरकार की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने भारत की शीर्ष अदालत से पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट की एक अच्छी परंपरा का अनुसरण करने का आग्रह किया।
करीब 60 याचिकाओं के संबंध में केंद्र की ओर से शीर्ष अदालत में उपस्थित वेणुगोपाल ने कहा कि अगर संभव हो तो प्रधान न्यायाधीश की अदालत के मध्य एक पोडियम स्थापित किया जाए और फिर एक समय पर केवल एक वकील को अपने मामले पर दलील पेश करने की अनुमति दी जाए।
सुनवाई के दौरान अदालत कक्ष खचाखच भरा हुआ था।
वेणुगोपाल ने जोर देकर कहा कि जब वकील अपने मामले के संबंध में एक-एक कर बोलने के बजाए एक साथ बोलने लगते हैं तो यह पूरी तरह अनुचित लगता है।
न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत सहित प्रधान न्यायाधीश एस. ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने उनके सुझाव पर सहमति व्यक्त की।
जब प्रधान न्यायाधीश यह समझने में असमर्थ थे कि मामले पर कौन बहस कर रहा है, इस पर वेणुगोपाल ने कहा, “लोग एक साथ बात करते हैं और अदालत को संबोधित करते हैं। पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट में जहां उनके पास पोडियम है, केवल एक वकील ही उस पर आ सकता है और अपनी बात कह सकता है। जबकि यहां पर कई वकील एक ही समय में अदालत के सामने बहस करते हैं और इसे समझना मुश्किल है।”
वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर बहस शुरू की और कुछ मिनटों के बाद अन्य याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों ने भी अपनी दलीलें देनी शुरू कर दी।
इस पर बोबड़े को हस्तक्षेप करना पड़ा और वकीलों से बारी-बारी बात करने को कहा।
इसके बाद अटॉर्नी जनरल ने कहा कि प्रधान न्यायाधीश की अदालत एकमात्र अदालत है, जहां इतने सारे वकील एक साथ बोलते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि ऐसा किसी अन्य अदालत में नहीं होता है।
इस पर प्रधान न्यायाधीश ने जवाब दिया, “हम नहीं जानते कि यह अन्य अदालत में होता है या नहीं, लेकिन यह इस अदालत कक्ष में होता है।”