देश में इन दिनों लोक सभा चुनावो को लेकर राजनैतिक माहौल सा बना हुआ है। कभी कोई आपत्तिजनक ब्यान को लेकर चर्चा में हैं तो कोई आंदोलनों एवं धरना प्रदर्शन को लेकर।
तमाम दल कुछ ना कुछ करके आने वाले चुनावो में अपनी राजनीति जनता के सामने चमकना चाहते है। इसी को लेकर आज कल देश में एनआरसी के ऊपर तमाम दल अपने अपने राह अलाप रहे है।
बता दे कि थोड़े दिनों पहले नरेंद्र मोदी सरकार ने एनआरसी को लेकर असम में एक सूची तैयार करी थी जिसके तहत सरकार ने 40 लाख लोगो को अवैध रूप से रह रहे घुसपैठिए करार दिया है। इसी को लेकर तमाम विपक्षी दल मोदी सरकार से जवाब मांग रहे है।
इसी को लेकर इन दिनों विपक्षी दल राज्यसभा अध्यक्ष एवं देश के उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू को उनके अनुचित रवैये के बारे में पत्र लिखने के बारे में सक्रिय रूप से विचार कर रहे हैं।
असम से कांग्रेस के पांच सांसदों ने उन पर पक्षपात करने का आरोप लगाया है। इस पर पूर्व प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह ने अपने आप को दरकिनार रखा है।
विपक्षी सांसद के अनुसार वे सभापति वेंकैया नायडू के इस रवैया से दु:खी हैं उनका कहना है की सभापति विभिन्न दलों के नेताओं को लिंचिंग, मौजूदा आर्थिक वस्तुस्थिति, बोफोर्स मुद्दे और किसानों की दुर्दशा जैसे चिंताजनक मुद्दों पर अपनी राय रखने का मौका नहीं देते है।
इसको लेकर असम के सांसदों ने नेशनल रजिस्टर आफ सिटीज़न (एनआरसी) पर बहस के दौरान सदन में अपनी बात रखने की इजाजत नहीं देने पर भी नाराजगी व्यक्त की। इस पर अब विपक्ष ने कड़ा रुख इख्तियार करते हुए सभापति के खिलाफ शिकायतपत्र लिखने का विचार किया है।
रोचक बात यह है कि इस बात का निर्णय भी सभापति वेंकैया नायडू ही लेंगे। एक विपक्षी सांसद ने बताया कि, “विपक्ष के राज्यसभा अध्यक्ष को विरोध पत्र लिखने के मुद्दे पर हम सक्रियता से विचार कर रहे हैं कि उच्च सदन में पीठासीन अधिकारी उन्हें (सांसदों को) देश के सामने ज्वलंत मुद्दों को उठाने देने के मामले में अनुचित रवैया इख्तियार करते हैं।”