हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2023 तक विश्व भर में करीब 1,000 अरब वॉट से भी अधिक अक्षय ऊर्जा का उत्पादन होने लगेगा।
रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान में जिस तरह से विश्व सौर ऊर्जा और वायु ऊर्जा समेत अन्य अक्षय ऊर्जा के साधनों पर अपना ध्यान टिकाये हुए है, इससे वर्ष 2023 तक विश्व 1,000 अरब वॉट ऊर्जा उत्पादन का आँकड़ा पार कर लेगा।
हालाँकि अभी भी अनेक देशों की सरकारों में इस स्वच्छ ऊर्जा को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है, लेकिन फिर भी उम्मीद लगाई जा रही है कि 5 सालों में विश्व भर के सभी देश इसे ऊर्जा के एक जरूरी साधन के रूप में देखेंगे।
अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के मुताबिक अगले पाँच सालों में सौर ऊर्जा, वायु ऊर्जा और हाइड्रो ऊर्जा प्रकृतिक गैस और कोयले की जगह ले लेंगे। इसी तरह स्वच्छ ऊर्जा के कम दामों के चलते कोयले व प्रकृतिक गैस के दामों में भी कमी आ सकती है।
कोयला फिलहाल वैश्विक बिजली उत्पादन में 27 प्रतिशत का हिस्सेदार है, लेकिन जिस तरह से विभिन्न देश स्वच्छ ऊर्जा की तरफ बढ़ रहे हैं उससे माना जा रहा है कि वर्ष 2040 तक कोले की माँग घटकर 22 प्रतिशत तक आ सकती है।
रिपोर्ट के मुताबिक विश्व की कुल बिजली खपत की करीब 30 प्रतिशत बिजली की आपूर्ति स्वच्छ ऊर्जा द्वारा की जा सकेगी।
इसी के साथ ही रिपोर्ट में ये कहा गया है कि हाइड्रो पावर में भी अगले पाँच सालों में 12% प्रतिशत तक की वृद्धि देखने को मिल सकती है। वहीं दोसरी ओर वायु ऊर्ज, कुल अक्षय ऊर्जा में 7 प्रतिशत के आस पास योगदान देगी।
अक्षय ऊर्जा की बात करें तो चीन इसमें सबसे आगे खड़ा नज़र आता है। चीन आने वाले समय में करीब 438 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा का उत्पादन करेगा। इसी के साथ वो यूरोप, अरब और ब्राज़ील में होने वाली संयुक्त ऊर्जा खर्च से भी ज्यादा ऊर्जा का उत्पादन करेगा।
रिपोर्ट में बताया गया है कि वैश्विक स्तर पर कुछ सालों से कार्बन डाइऑक्साइड की मात्र धीरे-धीरे बढ़ रही है, लेकिन पिछले वर्ष यह अचानक से 1.6 प्रतिशत बढ़ चुकी है, यह एक बेहद चिंता का विषय है।