केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सोमवार को ‘Introduction to Indian Knowledge Systems: Concepts and Applications’ पर एक पाठ्यपुस्तक का शुभारंभ किया। कार्यक्रम में शिक्षा राज्य मंत्री सुभाष सरकार के साथ उच्च शिक्षा सचिव के संजय मूर्ति व अन्य उपस्थित थे।
Today, Hon’ble Education Minister Shri @dpradhanbjp released a textbook on ‘Introduction to Indian Knowledge Systems: Concepts and Applications”. To know more, read here: https://t.co/j5nuneTVI4 pic.twitter.com/GKhm1yAg5G
— Ministry of Education (@EduMinOfIndia) May 16, 2022
शिक्षा मंत्री ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि लेखकों ने इस पुस्तक में भारतीय ज्ञान प्रणाली को एक अकादमिक ढांचा प्रदान किया है। प्रधान ने भारतीय ज्ञान, संस्कृति, दर्शन और आध्यात्मिकता के वैश्विक पदचिह्न के बारे में बात की।
वेदों, उपनिषदों और अन्य भारतीय ग्रंथों के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि हमारी प्राचीन विरासत खजाने से भरी है जिसे संरक्षित, प्रलेखित और प्रचारित करने की आवश्यकता है। उन्होंने प्राचीन भारत से विज्ञान आधारित प्रथाओं और ज्ञान के विभिन्न उदाहरणों के बारे में भी बताया जिन्हें हम आधुनिक दुनिया में अभी भी प्रासंगिक पा सकते हैं।
मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय शिक्षा प्रणाली औपनिवेशिकता से बाहर आ रहा है। हमें अपने समाज की समस्याओं के प्रति भी सचेत रहना चाहिए और एक ऐसे भविष्य का निर्माण करना चाहिए जिसने अतीत के ज्ञान और समकालीन मुद्दों के बीच तालमेल बनाया हो। उन्होंने कहा कि विश्व की कई समस्याओं का समाधान भारतीय ज्ञान प्रणाली में है।
अद्वितीय ज्ञान और प्रज्ञा का प्रतीक—भारतीय ज्ञान परंपरा को शिक्षा व्यवस्था की मुख्यधारा से जोड़ने के उद्देश्य से आज वैशाख पूर्णिमा के शुभ अवसर पर @Drsubhassarkar जी के साथ #IndianKnowledgeSystem पर एक पुस्तक का लोकार्पण किया। pic.twitter.com/B8ziUT7Jok
— Dharmendra Pradhan (@dpradhanbjp) May 16, 2022
इस पुस्तक ने हाल ही में AICTE द्वारा अनिवार्य IKS पर एक आवश्यक पाठ्यक्रम की पेशकश की है। इसके अलावा, नई शिक्षा नीति (NEP) ने उच्च शिक्षा पाठ्यक्रम में IKS प्रदान करने के लिए एक स्पष्ट प्रक्षेपवक्र प्रदान किया है, जिससे आने वाले दिनों में देश के कई उच्च शिक्षा संस्थानों में इस तरह की एक पुस्तक की आवश्यकता होगी।
पाठ्यपुस्तक पाठ्यक्रम भारतीय प्रबंधन संस्थान, बैंगलोर द्वारा व्यास योग संस्थान, बेंगलुरु और चिन्मय विश्व विद्यापीठ, एर्नाकुलम के सहयोग से विकसित किया गया है। यह प्रोफेसर बी महादेवन, आईआईएम बैंगलोर द्वारा लिखा गया है और चिन्मय विश्व विद्यापीठ, एर्नाकुलम में वैदिक ज्ञान प्रणाली के स्कूल के साथ एसोसिएट प्रोफेसर विनायक रजत भट, चाणक्य विश्वविद्यालय, बेंगलुरु और नागेंद्र पवन आरएन द्वारा सह-लेखन हैं।
भारतीय ज्ञान प्रणाली (IKS) की शुरुवात अक्टूबर 2020 में की गयी है। जो शिक्षा मंत्रालय (MoE) AICTE के तहत एक अभिनव प्रकोष्ठ है। यह IKS के सभी पहलुओं पर अंतःविषय अनुसंधान को बढ़ावा देना चाहता है, आगे के शोध और सामाजिक अनुप्रयोगों के लिए आईकेएस को संरक्षित और प्रसारित करता है, और कला और साहित्य, कृषि, बुनियादी विज्ञान के क्षेत्र में हमारे देश की समृद्ध विरासत और पारंपरिक ज्ञान के प्रसार में सक्रिय रूप से संलग्न है।