नई दिल्ली, 23 मई (आईएएनएस)| न्यूजीलैंड ने जब भी विश्व कप में कदम रखा है, छुपा रुस्तम साबित हुई है। वह पांच बार सेमीफाइनल में जगह बनाने में सफल रही है तो वहीं पिछले विश्व कप में वह पहली बार फाइनल में पहुंची थी, लेकिन जीत नहीं सकी थी। इस बार भी कहानी अलग नहीं है। किवी टीम एक ऐसी टीम के तौर पर इंग्लैंड जा रही है जो कभी भी, कुछ भी कर सकती है।
पिछली बार न्यूजीलैंड ने आस्ट्रेलिया के साथ संयुक्त रूप से विश्व कप की मेजबानी की थी और फाइनल में पहुंची थी, लेकिन इस बार उसे इंग्लैंड की धरती पर खेलना है और उसके सामने चुनौती बीते प्रदर्शन को दोहराने की है।
क्या है संभव है? किवी टीम का अगर इंग्लैंड में प्रदर्शन देखा जाए तो यह बड़ी चुनौती लगती है। किवी टीम को हमेशा इंग्लैंड में परेशानी हुई है। उसने आखिरी बार चैम्पियंस ट्रॉफी में यहां शिरकत की थी लेकिन जल्दी टूर्नामेंट से बाहर हो गई थी। चैम्पियंस ट्रॉफी से पहले किवी टीम ने 2015 में इंग्लैंड का दौरा किया और 2-3 से हारी थी।
अगर देखा जाए तो बीते चार साल में सिर्फ दो बार इंग्लैंड में खेलना, यह बताता है कि मौजूदा टीम के पास वहां खेलने का अनुभव नहीं है ऐसे में स्थितियों से उसे तालमेल बिठाने में न्यूजीलैंड को परेशानी होगी।
इस बात में हालांकि कोई शक नहीं है कि वह बेहतर खेलने और अच्छी-अच्छी टीमों को मात देने का दम रखती है।
किवी टीम की बल्लेबाजी मजबूत है। कप्तान केन विलियम्सन के जिम्मे टीम का भार होगा। विलियम्सन ने हाल ही में इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में सनराइजर्स हैदराबाद की कप्तानी की थी। वह टीम को प्लेऑफ तक तो ले गए थे, लेकिन उनका बल्ला ज्यादा असरदार नहीं रहा था। अगर किवी टीम को बेहतर करना है तो यह जरूरी है कि कप्तान फॉर्म में लौटें और निरंतरता के साथ रन बनाए।
पिछले विश्व कप और इस विश्व कप में न्यूजीलैंड की टीम में एक अंतर यह है कि तब उसके पास ब्रैंड मैक्कलम जैसा बल्लेबाज था जो इस बार नहीं है। उनके आस-पास का बल्लेबाज भी किवी टीम में नहीं हैं। अनुभव के मामले में हालांकि मार्टिन गुप्टिल का रोल काफी अहम होगा। गुप्टिल एक बेहतरीन बल्लेबाज भी हैं जो बड़ी पारियां खेलने का दम रखते हैं।
कोलिन मुनरो के रूप में एक और खतरनाक बल्लेबाज किवी टीम के पास है। मुनरो अपनी आक्रामक बल्लेबाजी के लिए जाने जाते हैं। टी-20 में उनका प्रदर्शन हमेशा से बेहतर रहा है लेकिन वनडे में मुनरो निरंतरता की कमी से जूझते रहे हैं। इस कमी को उन्हें दूर करना होगा। टॉम लाथम के रूप में एक और अच्छा विकल्प किवी टीम के पास है। लाथम युवा और प्रतिभाशाली हैं तथा टीम की बल्लेबाजी कड़ी का अहम हिस्सा भी।
गुप्टिल और मुनरो सलामी बल्लेबाजी की जिम्मेदारी संभालेंगे। ऐसे में मध्य क्रम का जिम्मा कप्तान विलियम्सन तथा एक और बेहद अनुभवी बल्लेबाज रॉस टेलर पर होगा। न्यूजीलैंड की सफलता के लिए यह जरूरी है कि इन शीर्ष-4 में कोई न कोई बल्लेबाज चले।
यहां से किवी टीम के हरफनमौला खिलाड़ियों की फेहरिस्त शुरू हो जाती है जिसमें लॉकी फग्र्यूसन, कोलिन डी ग्रांडहोम, हेनरी निकोलस, जिम्मी नीशम, मैट हेनरी के नाम हैं। कोच गैरी स्टीड को उम्मीद होगी कि उनकी हरफनमौला खिलाड़ियों की फौज बल्ले और गेंद दोनों से दम दिखाए।
गेंदबाजी में किवी टीम कमजोर नहीं कही जा सकती क्योंकि उसके पास ट्रैंट बाउल्ट हैं। बाएं हाथ का यह तेज गेंदबाज लगातार अच्छा कर रहा है। आईपीएल में वह दिल्ली कैपिटल्स के लिए खेले थे। बाउल्ट को ज्याद मैच खेलने का मौका तो नहीं मिला था लेकिन जितने भी मैच उन्होंने खेले थे प्रभावित किया था। बाउल्ट के पास अच्छी स्विंग और तेजी है जो इंग्लैंड में काम आएगी, लेकिन परेशानी यह है कि दूसरे छोर से उनका साथ देने के लिए ज्यादा प्रभावशाली गेंदबाज नहीं है। टिम साउदी जरूर हैं लेकिन वह अपने रास्ते से अंदर-बाहर होते रहे हैं।
डी ग्रांडहोम, फग्र्यूसन के रूप में दो तेज गेंदबाजी के अच्छे विकल्प हैं लेकिन देखना होगा इस टूर्नामेंट में यह बाउल्ट और साउदी का कितना साथ दे पाते हैं।
स्पिन में किवी टीम के पास ईश सोढ़ी और मिशेल सैंटनर जैसे अच्छे नाम है। इन दोनों पर काफी कुछ निर्भर होगा।
किवी टीम की सबसे बड़ी परेशानी डेथ ओवर हैं। भारत के खिलाफ इस साल की शुरुआत में और बाद में बांग्लादेश के खिलाफ खेली गई सीरीजों में यह देखा जा चुका है। टीम अंतिम ओवरों में तेजी से रन भी बना पाती है तो आखिरी ओवरों में उसके गेंदबाज रन रोकने के लिए जद्दोजहद करते रहे हैं।
यह ऐसा एरिया है जहां कोच और कप्तान दोनों को सोचना होगा और रणनीति बनानी होगी।
टीम : केन विलियम्सन (कप्तान), टॉम ब्लंडल, ट्रेंट बाउल्ट, कोलिन डी ग्रांडहोम, लॉकी फग्र्यूसन, मार्टिन गुप्टिल, टॉम लाथम, कोनिल मनुरो, जिम्मी नीशाम, हेनरी निकोलस, मिशेल सैंटनर, ईश सोढ़ी, टिम साउदी, रॉस टेलर।