नई दिल्ली, 15 जुलाई (आईएएनएस)| विश्व कप समाप्त हो चुका है। क्रिकेट बिरादरी को नया सरताज मिल गया है। यह सरताज क्रिकेट का ‘जनक’ है। लॉर्ड्स मैदान पर रविवार को हुए फाइनल मुकाबले के दौरान जो कुछ हुआ, उसे लेकर कई तरह की बातें की जा रही हैं लेकिन इन तमाम नकारात्मक बातों को अगर भुला दिया जाए तो सही अर्थो में क्रिकेट की जीत हुई है।
आईसीसी विश्व कप-2019 कई अर्थो में अद्वितीय रहा लेकिन परिणाम के लिहाज से इसे अनापेक्षित नहीं का जा सकता। विश्व कप की शुरुआत से ही दो बार के चैम्पियन भारत, पांच बार के चैम्पियन आस्ट्रेलिया, बीते संस्करण का फाइनल खेल चुके न्यूजीलैंड और तीन बार के फाइनलिस्ट इंग्लैंड को खिताब का दावेदार माना जा रहा था।
इन चार टीमों के सेमीफाइनल में पहुंचने की भविष्यवाणी की गई थी। हुआ भी यही। सेमीफाइनल में भारत की न्यूजीलैंड और मेजबान इंग्लैंड की आस्ट्रेलिया से भिड़ंत हुई। इसके बाद इंग्लैंड ने रोमांच से भरपूर फाइनल मुकाबले में न्यूजीलैंेड के साथ टाई खेला और फिर सुपर ओवर भी टाई रहा। इंग्लैंड को अंतत: मैच में अधिक चौके लगाने के कारण विजेता घोषित किया गया।
कहा जा रहा है कि अगर ट्रॉफी शेयर की जाती तो बेहतर होता लेकिन इंग्लैंड की टीम ने जिस तरह न्यू इंग्लैंड टीम बनकर खिताब तक का सफर तय किया, उसे देखते हुए इंग्लैंड का चैम्पियन बनना एक सुखद: अहसास है। न्यूजीलैंड ने बीते संस्करण का भी फाइनल खेला था। उस साल भी किस्मत ने उसका साथ नहीं दिया और इस साल भी यही कहानी रही।
सुरक्षा के लिहाज से यह विश्व कप सफल रहा। कई मैचों के दौरान राजनीतिक एजेंडों को हवाई जहाजों पर बैनर लगाकर दुनिया के सामने लाने की कोशिश की गई लेकिन उनका मैचों पर कोई असर नहीं हुआ। आईसीसी ने इसे गम्भीरता से लेने का फैसला किया है और कहा है कि आने वाले समय में स्टेडियमों के आस-पास के इलाकों को नो-फ्लाई जोन घोषित कराए जाने की दिशा में वह काम करेगा।
भारत और आस्ट्रेलिया सेमीफाइनल में हारकर बाहर हुए। भारत ने न्यूजीलैंड के खिलाफ संघर्ष किया लेकिन आस्ट्रेलिया ने इंग्लैंड के सामने घुटने टेके। इस विश्व कप में घुटने टेकने का सबसे बड़ा उदाहरण दक्षिण अफ्रीका रहा, जो दूसरे दौर के लिए क्वालीफाई नहीं कर सका। इसी तरह अफगानिस्तान ने भी घुटने टेके।
कुछ टीमों ने उम्मीद से बढ़कर प्रदर्शन किया। बांग्लादेश सर्वोपरि है। इसके बाद पाकिस्तान, वेस्टइंडीज और श्रीलंका हैं। बांग्लादेश की टीम ने अपने सुपरहीरो शाकिब अल हसन की बदौलत कई यागदार जीत दर्ज की और जिनमें हारी, लड़कर हारी। पाकिस्तान को शुरुआती मुकाबलों में शर्मसार होना पड़ा था लेकिन बाद में उसने जोरदार वापसी की और सेमीफाइनल की दौड़ में बनी रही। इसी तरह श्रीलंका ने शुरुआत में खराब खेल से उबरते हुए कुछ यादगार जीत दर्ज किए।
भारत के सलामी बल्लेबाज रोहित शर्मा के पांच शतक सबको याद रहेंगे। रोहित ने किसी एक विश्व कप में सबसे अधिक शतक लगाने का रिकार्ड अपने नाम किया। 2003 में किसी एक विश्व कप में बना सचिन तेंदुलकर का 673 रनों के रिकार्ड पर तलवार लटकी रही। रोहित (648) के अलावा आस्ट्रेलिया के डेविड वार्नर (647) इससे तोड़ते हुए दिखे लेकिन सेमीफाइनल में मिली हार के साथ इनकी उम्मीदें खत्म हो गईं।
मिशेल स्टार्क ने किसी एक विश्व कप में सबसे अधिक 26 विकेट लेने का अपने ही देश के ग्लेन मैक्ग्राथ के रिकार्ड को तोड़ा। स्टार्क ने कुल 29 विकेट अपने नाम किए। न्यूजीलैंड के कैप्टन कूल केन विलियम्सन को प्लेअर ऑफ द टूर्नामेंट चुना गया। केन का शांत चित्त, सबके लिए आकर्षण का विषय रहा। वैसे इस विश्व कप में खिलाड़ियों के बीच आपसी विवाद नहीं हुए और खेल काफी सौहार्दपूर्ण माहौल में खेला गया।
दुनिया भर में अरबों लोगों ने 30 मई से 14 जुलाई तक क्रिकेट के महासमुद्र में गोते लगाए। सबने खेल का भरपूर लुत्फ लिया। मैदान के अंदर और मैदान के बाहर एक जैसा माहौल था। सोशल मीडिया पर नए कीर्तिमान बने। मैचों को लेकर खूब चर्चाएं हुईं। इन चर्चाओं में भारत और पाकिस्तान के बीच 16 जून को हुआ बहुप्रतिक्षित मैच सबसे ऊपर रहा। मैनचेस्टर में खेले गए इस मैच के टिकट लाख रुपये से भी अधिक कीमत पर बिके लेकिन फाइनल मुकाबले ने इस रिकार्ड को तोड़ दिया।
इससे साबित होता है कि क्रिकेट सीमाओं में नहीं बंघा हुआ है। यह जनमानस का खेल है। ऐसा कहा जा रहा था कि भारत के फाइनल से बाहर होने के बाद विश्व कप फाइनल को लेकर रोमांच नहीं रह गया है लेकिन जिस तरह का फाइनल हुआ, वह इतिहास में दर्ज हो गया। लोग सांसे रोके मैदान के अंदर और मैदान के बाहर पल-पल बदलते हालात के समंदर में गोते लगाते रहे।
चाहें वो भारत का क्रिकेट प्रेमी हो या फिर इंग्लैंड का या फिर न्यूजीलैंड का, सबकी नजर में खिताब तो क्रिकेट के जनक ने जीता लेकिन असली विजेता तो क्रिकेट ही रहा।