गुरुवार रात सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ खेले गए मैच में एक बार फिर शानदार गेंदबाजी का नजारा दिखाते हुए जसप्रीत बुमराह ने साबित कर दिया है कि वह सीमित ओवरो के खेल में डेथ ओवर्स के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज है।
आखिरी गेंद पर छक्का लगने के बाद, वानखेड़े में सनराइजर्स हैदराबाद और मुंबई इंडियंस के बीच खेला रहा मैच सुपर ओवर तक पहुंचा। उस समय बुमराह ने गेंदबाजी की और एक बेहतरीन सुपर ओवर निकाला, 6 गेंद के अपने ओवर में बुमराह ने अपनी शुरुआती 4 गेंदो में 2 विकेट चटकाए थे। उन्होने मुख्य मैच में भी अपने 4 ओवर के स्पैल कराते हुए 2 विकेट लिए और सनराइजर्स हैदाराबाद को आसानी से रन नही बनाने दिए।
वर्षों से बुमराह ने मजबूती के साथ काम किया है और सीमित ओवरों के प्रारूप में यॉर्कर गेंदबाजी करना और विपक्षी बल्लेबाजों को चकमा देना उनकी क्षमता है।
एक बार फिर देखा गया की एसआरएच के बल्लेबाज सुपर ओवर में बुमराह के खिलाफ संघर्ष कर रहे थे जो अपनी अपार गति और सटीक सटीकता। उनकी गेंदबाजी की विशेष बात यह है कि जब वह बाउंड्री खाते है तो उसके बाद वह बेहतरीन वापसी करते है और अपनी टीम को अपना काम करके देते है।
उनकी मानसिक ताकत उनके विकास में एक महत्वपूर्ण कारक रही है और पिछले दो वर्षों में उन्होंने जो अनुभव हासिल किया है, उसमें टेस्ट क्रिकेट खेलना भी शामिल है, जिससे वह विश्व कप में अच्छी बढ़त बना पाएंगे।
वनडे क्रिकेट में उन्होने 49 मैच खेले है जिसमें उन्होने 4.51 प्रति ओवर और 22.15 की औसते के साथ 85 विकेट चटकराए है।
जब विश्वकप में विराट कोहली मिडल-ओवरो में लेग स्पिनरो से विकेट की उम्मीद करेंगे तो समान समय पर वह बुमराह के लिए भी जाएंगे और उनसे कुछ महत्वपूर्ण विकेट की उम्मीद करेंगे।
विश्वकप में कुछ बहुत करीबी मैच देखने को भी मिल सकते है ऐसे में कोहली को बुमराह की सबसे ज्यादा जरुरत होगी की टीम अच्छा प्रदर्शन कर पाए।
अगर आखिरी ओवर में 10 रन की दरकार हो, बुमराह के पास क्षमता है कि वह अपनी शानदार यॉर्कर गेंदबाजी से बचाव कर सकते है और इससे उनकी टीम और कप्तान को टूर्नामेंट में अधिक आत्मविश्वास प्राप्त होगा।
टेस्ट क्रिकेट ने बुमराह को एक गेंदबाज के रूप में बेहतर बनाया है, वह बहुत अधिक आश्वस्त हैं और टेस्ट क्रिकेट के लिए जिस शारीरिकता और सहनशक्ति की आवश्यकता है, निश्चित रूप से उन्होंने सीमित ओवरों में अपने प्रदर्शन को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया है। तीन बड़े टेस्ट दौरों के बाद भी बुमराह एक अधिक धैर्यवान गेंदबाज दिखते हैं और इससे उन्हें चोट लगने पर भी शांत रहने की अनुमति मिलती है, जो कि विश्व कप की कुंजी होगी, जहां बहुत सारी नसें घूम रही होंगी।