Sat. Nov 16th, 2024

    सार्वजनिक क्षेत्र के कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल) द्वारा निर्मित देश के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत (आईएसी-1) का बहुप्रतीक्षित समुद्री परीक्षण बुधवार को कोचीन तट से शुरू हुआ। 40,000 टन वजनी विमानवाहक पोत के निर्माण की शुरुआत 2009 में की गई थी। इसके अगले साल के अंत में आईएनएस विक्रांत के रूप में नौसेना में शामिल होने की उम्मीद है।

    इसके शामिल होने से हिंद महासागर क्षेत्र में नौसेना की ‘समुद्र नियंत्रण’ क्षमताओं को बढ़ावा मिलेगा जो बढ़ती भू-रणनीतिक प्रतिस्पर्धा का रंगमंच बन चूका है। नौसेना वर्तमान में सिर्फ एक विमानवाहक पोत ‘आईएनएस विक्रमादित्य’ का संचालन कर रही है।

    समुद्र में आईएसी-1 के प्रणोदन संयंत्रों को विभिन्न नेविगेशन, संचार और पतवार उपकरणों के परीक्षणों के अलावा कठोर स्तिथियों में परीक्षण के लिए रखा जाएगा। एक बार उपकरण इन परीक्षणों से पास हो जाने के बाद, साल भर में क्रमिक चरणों में उड़ान परीक्षण और उसके बाद हथियारों का परीक्षण किया जाएगा।

    सीएसएल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक मधु एस. नायर ने समुद्री परीक्षण शुरू होने पर कहा कि, “यह भारतीय जहाज निर्माण उद्योग के लिए एक बहुत बड़ा दिन है। सीएसएल द्वारा जहाज डिजाइन, निर्माण और नेटवर्क एकीकरण के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण क्षमताएं विकसित की गई हैं।”

    कैरियर निर्माण परियोजना को 2002 में सुरक्षा पर कैबिनेट समिति द्वारा अनुमोदित किया गया था और निर्माण के पहले चरण के अनुबंध पर 2007 में सीएसएल के साथ हस्ताक्षर किए गए थे। आईएसी -1 का मूल डिजाइन नौसेना डिजाइन निदेशालय द्वारा किया गया था। विस्तृत इंजीनियरिंग, निर्माण और सिस्टम एकीकरण सीएसएल द्वारा किया गया है। इस परियोजना की लागत लगभग ₹20,000 करोड़ है।

    कैरियर में इतालवी फर्म फिनकैंटिएरी ने डिजाइनिंग और सिस्टम इंटीग्रेशन और रूस ने एविएशन कॉम्प्लेक्स विकसित करने में मदद की है। लेकिन इस परियोजना ने जहाज के पतवार निर्माण के लिए युद्धपोत-ग्रेड स्टील के विकास से लेकर एक बड़े सहायक उद्योग पारिस्थितिकी तंत्र के विकास तक स्वदेशीकरण को बढ़ावा दिया।

    ये जहाज 262 मीटर लंबा है और इसमें 2,300 से अधिक कम्पार्टमेंट्स हैं। इसके साथ ही महिला अधिकारियों को समायोजित करने के लिए विशेष केबिन भी बनाये गए हैं वाले।

    By आदित्य सिंह

    दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास का छात्र। खासतौर पर इतिहास, साहित्य और राजनीति में रुचि।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *