7 महीने पहले की बात है, कर्नाटक में कांग्रेस चुनाव हार गई थी और भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी लेकिन बहुमत से दूर रह गई थी। भाजपा को रोकने के लिए कांग्रेस ने जेडीएस से हाथ मिला लिया और सरकार बना ली। कुमारस्वामी तीसरे नंबर पर रहने के बावजूद मुख्यमंत्री बने और शपथग्रहण समारोह में विपक्षी एकता का सन्देश देने के लिए सारा विपक्षी कुनबा मंच पर एकत्रित हुआ। मायावती से लेकर अरविन्द केजरीवाल तक।
2014 के लोकसभा चुनाव में हार के करीब 5 सालों बाद कांग्रेस ने भाजपा को सीधे मुकाबले में हरा कर उसके 3 राज्य छीन लिए। मध्य प्रदेश में कमलनाथ मुख्यमंत्री बने। सालों बाद ख़ुशी कांग्रेस के लिए बड़ा मौका है। कमलनाथ के शपथ ग्रहण समारोह को एक बार फिर विपक्षी एकता का मेगा शो बनाने की तैयारियां चल रही है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और तेलुगु देशम पार्टी के अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू इस शपथ ग्रहण समारोह में सम्मिलित होने की स्वीकृति दे चुके हैं।
लेकिन मायावती, जिनके सहयोग से मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार बना रही है, ने अभी तक शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के न्युओते पर कुछ नहीं बोला है। विधानसभा चुनाव से एक दिन पहले विपक्षी दलों की महाबैठक हुई थी। उस महाबैठक में 2019 में भाजपा विरोधी गठबंधन पर व्यापक चर्चा हुई लेकिन मायावती और अखिलेश यादव उस बैठक से नदारद रहे।
शपथ ग्रहण समारोह में केरल के मुख्यमंत्री और सीपीआई नेता पिनराई विजयन, टीएमसी नेता दिनेश त्रिवेदी ने शामिल होने की स्वीकृति दे दी है।
मध्य प्रदेश में भाजपा के 15 सालों के शासन का खत्म कर कांग्रेस ने जीत हासिल की। हिंदी हार्टलैंड में मध्य प्रदेश भाजपा का गढ़ था जहाँ से 29 लोकसभा सीटें आती है।
कांग्रेस ने 114 सीटें हासिल की और बहुमत से 2 सीट दूर रह गई लेकिन मायावती ने समर्थन देने की घोषणा कर दी जिसके बाद कांग्रेस ने बहुमत का जरूरी आंकड़ा पार कर लिया। विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस से सीट बंटवारे पर नाराज होकर मायावती ने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में गठबंधन करने से इनकार कर दिया था और अकेले मैंदान में उतर गई थी।
अब देखना है कि मायावती विपक्षी एकता के मेगा शो, कमलनाथ के शपथ ग्रहण में शामिल होती है या नहीं।