2014 में केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनने के बाद से जहाँ एक तरफ भाजपा लगातार अपना राज्य दर राज्य विस्तार करती चली गई वही कांग्रेस सिमट कर सिर्फ 2 राज्यों तक रह गई थी। पिछले साढ़े 4 सालों में भाजपा ने देश के हर कोने में अपना विस्तार किया और कांग्रेस का हर तरफ से सफाया होता गया।
लेकिन अब लगता है कि कांग्रेस का बुरा दौर समाप्त होने को है। 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद पिछले 5 सालों मे पहली बार कांग्रेस ने सीधी लड़ाई में भाजपा को हराया है और एक ही बार में दो राज्य उसके हिस्से से झटक लिया।
वोटों की गिनती अभी जारी है लेकिन छतीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बननी तय है। हालाँकि मध्य प्रदेश में अभी कांटे की लड़ाई चल रही है।
छतीसगढ़
छतीसगढ़ में कांग्रेस ने 15 सालों से सत्ता पर कब्ज़ा जमाये भाजपा को बुरी शिकस्त दे कर अपना राजनितिक वनवास समाप्त किया। हालाँकि राज्य में कांग्रेस के पास कोई ऐसा स्थापित चेहरा नहीं था जो रमण सिंह की लोकप्रियता का मुकाबला कर सके लेकिन फिर भी राज्य में कांग्रेस की ऐसी आंधी चली कि राज्य में विधानसभा की 90 सीटों में से 63 पर कब्जा कर लिया और भाजपा बस 18 सीटों तक सिमट कर रह गई (अभी ये फाइनल आंकड़ा नहीं है)।
मायावती की बहुजन समाज पार्टी और अजीत जोगी की जनता कांग्रेस के गठबंधन के बाद राजनितिक विश्लेषकों ने उम्मीद लगाईं थी कि इससे कांग्रेस को नुकसान पहुंचेगा और भाजपा बाजी मार लेगी लेकिन अगर परिणामों पर नज़र डाले तो ओस लगता है कि इस गठबंधन ने कांग्रेस के बदले भाजपा को ही ज्यादा नुकसान पहुँचाया।
राजस्थान
राजस्थान में पिछले 25 सालों की सत्ता बदलने की परंपरा इस बार भी कायम रही। कांग्रेस ने इस बार भाजपा को सत्ता से बेदखल करते हुए उसपर कब्ज़ा जमा लिया। हालाँकि सर्वेक्षणों में इस तरह से वसुंधरा के खिलाफ सत्ता विरोधी आंधी की बात की जा रही थी और कांग्रेस के जबरदस्त जीत की बात की जा रही थी वो देखने को नहीं मिला। रुझानो में कांग्रेस 100-110 के बीच सीटें ले जाती दिख रही है जबकि भाजपा 65-80 के बीच सीटें जीतती दिख रही है। हालाँकि अभी अंतिम आंकड़े नहीं आये हैं और वोटों की गिनती जारी है। लेकिन फिर राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बननी तय है।
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले सत्ता का सेमीफाइनल माने जा रहे इन चुनावों में जीत जहाँ कांग्रेस के आत्मविश्वास में इजाफा करेगा वहीँ भाजपा के खिलाफ महागठबंधन बनाने की कोशिशों में लगे विपक्षी पार्टियों की रणनीति को भी धार मिलेगी।