चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 2013 में वन बेल्ट वन रोड़ योजना (ओबीओआर) को पहली बार विश्व के सामने रखा था। इस योजना के तहत चीन का सपना एशिया और यूरोप के व्यापार का केंद्र बनना है।
चीनी विशेषज्ञों की माने तो इस योजना के तहत चीन एशिया और यूरोप के विभिन्न देशों में विकास से सम्बंधित कार्य जैसे रोड़, इमारतें, हवाई अड्डे, बंदरगाह आदि बनाएगा। इन सब विकास कार्यों के जरिये इन सभी देशों को चीन से जोड़ा जा सकेगा। चीन का दावा है कि इस विशाल योजना के पीछे उसका मक़सद सिर्फ विकास और व्यापार है।
वन बेल्ट वन रोड़ की संरचना
वन बेल्ट वन रोड़ योजना के तहत चीन विभिन्न देशों को जोड़ने के लिए रोड़ और जल मार्ग का निर्माण करेगा।
इस योजना में 6 अहम् रोड़ मार्ग हैं।
चीन-रूस मार्ग = पूर्वी चीन से पूर्वी रूस तक
चीन-मंगोलिया-रूस मार्ग = उत्तरी चीन से शुरू होकर, मंगोलिया होते हुए पश्चिमी रूस तक
चीन-मध्य एशिया-पश्चिम एशिया मार्ग = चीन, अफगांसितां, ईरान होते हुए तुर्की तक
चीन-पाकिस्तान मार्ग = चीन के पश्चिमी भाग से शुरू होकर पाकिस्तान के कराची तक
चीन-म्यांमार-बांग्लादेश-भारत मार्ग = दक्षिणी चीन से शुरू होकर, म्यांमार, बांग्लादेश होते हुए भारत तक
चीन-सिंगापुर मार्ग = दक्षिणी चीन से थाईलैंड होते हुए सिंगापुर तक
इन 6 रोड़ मार्ग के जरिये चीन ने लगभग पुरे एशिया को अपने से जोड़ लिया है। इस पुरे रोड़ मार्ग द्वारा विकास कार्य में चीन को लगभग 60 लाख करोड़ रूपए से ज्यादा का खर्चा आएगा। चीन का दावा है कि अगले 10 सालों में इस योजना को पूरा किया जा सकता है।
चीनी समुद्री रेशम मार्ग
चीन की वन बेल्ट वन रोड़ योजना में रोड़ मार्ग के अलावा एक समुद्री मार्ग भी शामिल है। इस मार्ग के जरिये चीन अपने दक्षिण शहर फुज़्हाओ और गुआंगजू को यूरोप से जोड़ देगा। यह मार्ग चीन से शुरू होकर, वियतनाम, मलेशिआ, इंडोनेशिया, भारत, श्रीलंका, पाकिस्तान, केन्या, ग्रीस एवं इटली को जोड़ देगा।
इस समुद्री मार्ग के जरिये चीन अपने आप को सीधे अफ्रीकाई देशों से भी जोड़ देगा।
चीन की महत्वकांशा
वन बेल्ट वन रोड़ योजना के जरिये चीन विश्व की अगली महाशक्ति बनना चाहता है। 19 वी और 20 वी सदी में अमेरिका ने अपने आप को ट्रांस-पैसिफिक समेत कई योजनाओं के तहत बाकी की दुनिया से जोड़ दिया था। इसके चलते अमेरिका हर छेत्र में विश्व शक्ति बन गया था।
इसी के नक्शेकदम पर चलकर चीन अपने सदियों पुराने रेशम मार्ग को पुनः बनाना चाहता है ताकि वह अपने आप को विश्व का केंद्र बना सके।
हालाँकि इसके पीछे चीन की कई और महत्वकांक्षाएँ भी हो सकती है। इस योजना के जरिये चीन कई छोटे देशों में अपने सैन्य टुकड़ियां भी स्थापित करना चाहता है जिसके जरिये भविष्य में उसे किसी सैन्य विवाद में कोई परेशानी ना हो। चीन ने इस योजना के तहत पाकिस्तान में कई जगहों पर अपने लोगों और सेना के रहने के लिए बेस बना दिए हैं।
व्यापार के छेत्र में विश्व का केंद्र बनने से चीन की अर्थव्यवस्था लम्बे समय तक बहुत मजबूत हो जायेगी। आंकड़ों की माने तो 2050 में चीन की जीडीपी 11 ट्रिलियन से बढ़कर 50 ट्रिलियन डॉलर हो जायेगी। यह आंकड़ा बहुत बड़ा है और निकट समय में इसके पास पहुंचना नामुमकिन सा है।
वन बेल्ट वन रोड़ से कौनसे देश जुड़े हैं?
इस योजना से अब तक लगभग 50 देश जुड़ चुके हैं। चीन ने हालाँकि 65 देशों को इस योजना से जोड़ा है। ये देश एशिया, अफ्रीका और यूरोप के हैं। इनमे मुख्यतः चीन, पाकिस्तान, रूस, बांग्लादेश, म्यांमार, नेपाल, केन्या, इटली आदि शामिल हैं।
इन देशों के नाम हैं :
दक्षिण एशिया – भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, श्रीलंका, अफगानिस्तान और मालदीव
उत्तर एशिया – रूस, यूक्रेन, जॉर्जिया, बेलारूस, अर्मेनिआ, माल्डोवा
मध्य एशिया – तुर्केमिनिस्तान, कज़ाकस्तान, ताजीकिस्तान, उज़्बेकिस्तान, कीर्गिस्तान
पूर्वी एशिया – मंगोलिया, मलेशिया, सिंगापुर, वियतनाम, थाईलैंड, कम्बोडिअा, लाओस, फिलीपीन्स, ब्रूनेई, म्यांमार
पश्चिमी एशिया – ईरान, सीरिया, इराक, टर्की, जॉर्डन, लेबनान, पलेस्टाइन, सऊदी अरब, यमन, क़तर, एइजिप्त, ग्रीस, ओमान
यूरोप – इटली, सर्बिआ, पोलैंड, बुल्गारिया, हंगरी, स्लोवाकिया, जर्मनी, नेदरलैंड्स, क्रोटिआ, ब्रिटेन
भारत की भूमिका
भारत इस योजना को शुरुआत से ही नजरअंदाज करता आया है। भारत ने साफ़ तौर से इसमें शामिल होने से इंकार कर दिया है। इसमें सबसे बड़ा कारण है कि चीन से पाकिस्तान जाने वाला रोड़ मार्ग कश्मीर से होकर गुजरता है, जिसे भारत अपना छेत्र मानता है।
भारत ने चीन की इस योजना को टक्कर देने के लिए जापान के साथ मिलकर एशिया-अफ्रिका विकास मार्ग बनाने की सोची है। इसके जरिये दोनों देश अफ्रीका के पिछड़े देशों में विकास संरचना कार्य, स्वास्थ्य सम्बंधित दवाइयाँ आदि उपलब्ध कराएंगे।
इसके अलावा भारत ने रूस के साथ मिलकर अंतराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन मार्ग बनाने का प्रस्ताव किया है। यह मार्ग भारत से शुरू होकर ईरान के जरिये रूस तक पहुंचेगा। इस योजना के तहत एक जल मार्ग भी बनाया जाएगा जो मुंबई से शुरू होकर, मध्य एशिया, यूरोप होते हुए रूस तक पहुंचेगा। इसके तहत भारत यूरोप, मध्य एशिया तक अपनी पैठ जमा सकेगा।